Page 63 - lokhastakshar
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तक µाईटस आ◌ॅफ मैनष ् से *भा?वत लेकर खत जाती, उस समय का उपयोग
होकर फले जी ने सामा9जक 2याय क िलए Gयोितबा ने सा?व<ी बाई को पढ़ाने म5 #कया।
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और भारतीय जाितवाद क 9खलाफ अपना एक इसक7 चचा उनक ?पता तक पहुँची। समाज क
}ढ़ }?yकोण बना िलया। फले जी न #ह2दू डर से उनक ?पता ने Gयोितबा को घर छोड़ने
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ंथ- का गहन अrययन #कया और इस को कहा। Gयोितबा का साथ दते हुए सा?व<ी
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िन;कष पर पहुँच #क सामा9जक असमानता बाई फले ने भी घर छोड़ #दया। Gयोितबा न
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ज2मजात नह"ं ह, यह मानव िनिम त {यव
था अनेक सामा9जक व आिथ क संकट झलत हुए
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ह। पर6पराओं क नाम पर म#हलाओं पर होन सा?व<ी बाई फले को पढ़ाना जार" रखा।
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वाले अ2याय क 9खलाफ उनक दय म अrयापन *िश ण ?वालय म5 िश9 का का
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बगावत पैदा हुई। उ2ह यह समझ म5 आया #क *िश ण लेन क िलए सा?व<ी बाई का *वश
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इसक 9खलाफ संघष क7 शु_आत िश ा ?बना फाितमा शेख क साथ हुआ। दोन- भारतीय
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स6भव नह"ं। महाFमा फले ने वंिचत-9rन6न म#हलाओं ने उSच अंको से इस पर" ा को
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जाितय- क7 सेवा का अिभयान छड़ #दया। उdीण #कया।
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कटरपंथी बा¦ण उनक 9खलाफ हो गए और 7 अग
त, 1848 म5 पूना क बुधवार पेठ म
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फले पर ईसाई िमशनर" क प म5 काय करन Gयोितबा ने अछत बSच- क िलए एक
कल
का आरोप लगाया। *Fयुतर म5 फले ने शु_ #कया जो पूर भारत म5 अपने ढग का
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कटरपंिथय- को पाखंड" बताते हुए #कसान- व पहला
कल था। सा?व<ीबाई इसक7 पहली
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Xािमक- को उन पर लगाए जा रह बंधन- को िश9 का बनीं।
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तोड़ने का आ¸ान #कया। महाFमा फल न 1851 म5 Gयोितबा ने एक क2या पाठशाला
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अपने जीवन म5 हमेशा बड़" ह" *बलता से *ार6भ क7 एवं अपनी पी को िश क क7
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?वधवा ?ववाह क7 वकालत क7। ?वधवाओं क भूिमका सtपी। बाद म5 दो शालाएं कवल िन6न
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िलए 1854 ईसवीं म घर का िनमा ण करवाया। जाितय- क7 ब9Sचय- क िलए शु_ क7 गई।
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दूसर- क सामने आदश रखने क िलए अपन पित पी ने िमलकर लड़#कय- क िलए 18
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घर क दरवाजे सभी जाित तथा वग क िलए
कल खोल। 19 नवंबर, 1852 को पुणे
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हमेशा खुल रखए इतना ह" नह" अपन कए का महा?वालय क *ाचाय मेजर कठl न एक
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पानी ?बना #कसी भदभाव क सभी क िलए ?वशाल समारोह म5 200 _पये का महाव~ और
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उपलbध करवाया। िन6न जाितय- क Xीफल दकर Gयोितबा का स6मान #कया था।
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सश?^करण क उय स अपने घर क आग “बा6बे गा#डयन”, “पूना आ◌ॅज़व र”
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सामू#हक
नान गृह का िनमा ण भी करवाया। “Yान*काश” और “Yानोदय” जैसे तFकालीन
उनक7 शाद" सा?व<ी बाई क साथ 1840 म5 समाचार प<- ने Gयोितबा क इस काय क7
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हुई। शाद" क व^ सा?व<ी बाई क7 आयु कवल मु^ कठ से सराहना क7।
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9 वष थी। Gयोितबा *ित#दन खत म5 काम गांधी और क
तूरबा क दा6पतFय क7 तरह
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करने जाते थ। तीसर पहर सा?व<ी बाई भोजन Gयोितबा-सा?व<ी का दा6पFय भी बहुत ह"
मई – जुलाई 63 लोक ह
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