Page 61 - lokhastakshar
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अपनी िमट" क माधो। जब तक बाजार हम5 िगर" एक भी... धूल और रत क अ2धड़ चल रह
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अपनी िमट" से पूर" तरह से ?वलग नह"ं कर ह...Õ
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दगा, हम ऐसे ह" कसमसात रहगे।ÕÕ *s- अथा त डड- क7 भीड़ बढ़ती ह" जा
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#फर करवट बदल कर सोचने लगा, ,या रह" ह। उनका जोश और शोर भी। ध,का लगन स
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हमेशा सब कछ ऐस ह" चलता रहगा? या उसक मगना ताऊ िगर गया ह ले#कन उसका सवाल,
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बSच भी कभी उस गुलाबी ॉक वाली शोख चंचल ‘‘#दलीप, वेतन से तु6हारा गुजारा तो हो जाता...ÕÕ
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बSची क7 मािनंद पूर आFम?वZास क साथ पाक अधूरा ह" रह गया ह।
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म5 चहकते #फरग? और वहां तैनात पुिलसकम| स जीरो पावर क बUब क *काश म5 उसन
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हाथ िमला कर, ‘हलो अंकलÕ कहने का साहस जुटा पी और बSच- क चहर पढने क7 कोिशश क7।
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पाएंग? कछ सोचते हुए कह"ं खो गया। ,या वह सचमुच
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एक कसक सी दय म5 उठl। महसूस हुआ चाहता ह #क वह हर हाल उन दो आरोप- से बर"
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जैसे द"वार- और छत पर हर जगह *s ह" *s हो जाये जो उसक जमीर को #कसी करवट चैन
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टगे हुए ह। ब9Uक *s- का एक हुजूम ह" उमड़ नह"ं लेने दत?
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आया ह। ब9Uक डड... गाली िनकली मुंह से।
झुंझलाते हुए उसने मुंह फर िलया। उसी
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कोई कहता, ‘‘गाली दने और ऊचा बोलन समय िसपाह" का डडा उसक सामने आ खड़ा
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से बात म5 वनज कम हो जाता ह र...ÕÕ हुआ। और दखते ह" दखते बSची क *s क eप म
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एक और िचर प8रिचत चहरा लडखड़ा कर प8रवित त हो गया, ‘‘िसपाह" ,यूं मारता ह, पापा?’’
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िगरत-िगरते संभल कर बोला, ‘‘बावली बात, मगनै बहुत डराता ह यह सवाल... डर और सोच
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ताऊ सार" 9जनगी गाली काढ"... न कद" उण रो से कस मु^ हो वह भावुक दहाती? यह भी तो
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तरक कमजोर प²यो ना दबको!ÕÕ एक सवाल ह!
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ताऊ मगना राम उसक सामने आ खड़ा उसने िनLा म5 िनमuन पी क शांत,
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हुआ। बताने लगा, ‘पर और परार साल क7 तरह स2तुy चहर क7 ओर दखा। लगा जैसे अभी उठ
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हम इस साल भी अकाल क7 मार झल रह ह, कर कहगी, ‘‘आपका वह िसपाह" भला बSच- को
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बेटा। सार" खेजड़" अप ण हो चुक7 ह... बूंद नह"ं ,यूं मारगा? द9खयेगा, कह"ं आपको ह" न मारन
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अनुवादक
अमर"क िसंह द"प
Pलैट न6बर 101, गोUड" अपाटम5ट, 119/372-बी0, दश नपुरवा, कानपुर-208012 (उ0*0)
मोबाइल - 08765379718 ई -मेल amriksinghdeep1@gmail.com
मई – जुलाई 61 लोक ह
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