Page 59 - lokhastakshar
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#दलीप ऐसी बात5 अ,सर सोचता रहता ह। यूं चाह आज उसका भी मन था #क वह
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कहते ह #क जब इ2सान क कध- पर बSच- को Ô?ज माकटÕ स उनक7 पसंद क7 चीज5
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दाियFव- का बोझ पड़ता ह और इन दाियFव- क 9खला कर लाए... गुलाब जामुन... रस मलाई...
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िनव हन म5 वह क#ठनाइय- से मोचा लेता ह तो इस पर वह" हुआ 9जसका भय था। लौटत हुए पी न
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थित म5 वह #फलॉ
फर हो जाता ह। पता नह"ं कहा, ब9Uक पूछा, ‘‘थोड़ा और घूम लेते ह। अभी
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,य- #दलीप बेिसर-पैर क7 सोचता रहता ह। बेिसर- समय भी अिधक नह"ं हुआ?’’ *ायः सवाल ह" तो
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पैर क7 ह" तो... अब होली खलने क िलए बSच- करती ह वह!
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को ?पचकार" नह"ं ला कर द" तो बSच- ने कछ यूं चाह पी ने उसक मन को ह" पढ़ा
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नह"ं कहा। उ2ह होली क #दन बाजार घुमाने नह"ं था... संrया समय सdरह सै,टर घूमना हमार
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ले गया, कोई िगला नह"ं #कया। Fयौहार क #दन जैस- क िलए एक उपलbधी माना जाता ह।
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बSच- क िलए कछ ?वशेष सामान खर"द कर नह"ं पी भाव?वह"न चहरा िलए शोकस- म5
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ले गया... मन मसोस कर रह गए वे। उ2ह-ने कहा टगी सा#डय- व अ2य चीज- पर िसफ िनगाह भर
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तो कछ नह"ं पर, #फर भी वह खाहम वाह सोचता ह" डाल रह" थी। #कसी *कार क7 कोई *ित#)या
रहा। नह"ं {य^ कर रह" थी। रग-?बरगी रोशिनय- स
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यूं बSच अब समझदार होते जा रह ह। जगमगाते शोकस- क शीश- पर अपनी दोन-
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खान-पीने और खलने क7 चीज- क िलए 9जद नह"ं हथिलयां #टकाए बSच अंदर रखी आयटम- को बड़"
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करते। शी ह" समझौता भी कर लेते ह पर हसरत भर" िनगाह- से दख रह थ। कई बार
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अ,सर *s भी खड़ कर दते ह। 9जसक7 वजह स 9जसक7 वजह से उनका नाक भी ?पचक जाता था।
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उसक मन म5 काफ7 दर तक परशानी भी बनी बSच खुश थ बहुत।
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रहती ह। जब तक कोई नया सवाल न खड़ा हो
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ती म5 झूमते चले जा रह थ #क
जाए, मौजूदा *s ?पड ह" नह"ं छोड़ता।
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अचानक 9खलौन- वाली एक बड़" दुकान क सामन
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‘‘आज बाजार चल5ग पापा?’’ eक गए। दोन- न एक दूसर क7 ओर दखा। छोट"
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इससे पूव #क कोई और *s उFप2न हो बSची ने एक बड़ा सा सवाल खड़ा कर #दया।
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#दलीप का िसर हां म5 #हल गया। हालां#क वह सामने शोकस म5 रखा वह 9खलौना...?
अSछl तरह से जानता ह #क बाजार से गुजरते हुए #दलीप न उस बहुत समझाने क7 कोिशश
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उसक *ाण सूली पर लटक रहते ह। क7। हर तरह से। हर एंगल से। उसे अकाल का
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बाजार क भ{य शीशे क शो कस- म5 सज खौफ भी #दखाया, ‘‘बेटा, 6हार गांव म काळ प²या
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9खलौन- को दख कर बSच कब बSच बन जाए, हुआ ह आजकलै...ÕÕ
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कहा नह"ं जा सकता। यूं भी बSच आ9खर बSच ह" भीतर क7 पीड़ा मातृ भाषा क शbद- म
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तो ह, इतनी छोट" उ म5 #फलॉ
फर कसे बन उतर आई, पर बSची ,या जाने काळ? कसा होता
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सकते ह? ह? कसे पड़ता ह? यूं चाह यहां उसने अिभवादन
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मई – जुलाई 59 लोक ह
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