Page 60 - lokhastakshar
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क  दो  लPज  Ôसासर"  कालÕ  भी  सीख  िलए  थ।       खुद उसक अचत म5 भी घर कर चुका था। अ2यथा
                 े
                                                                        े
                                                                             े
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               ले#कन  इन  शbद-  क  अथo  से  भी  #फलहाल          बSची को यूं बहलाना सरल न होता।
               अनिभY थी।                                               वह  घर  जा  कर  शायद  कोई  सवाल  पूछ।
                                                                                                            े
                                                                                               े
                                                                                                             5
                       उसक7  9जद  अंगद  का  पांव  हो  चली  थी,   इस  संदह  क  #कटाणू  #दलीप  क  म9
त;क  म
                                                                        े
                                                                            े
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                                                                                                        े
                                                                                    े
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                                                                 ु
               ‘‘नह"ं पापा, मुझ तो लेना ह।ÕÕ                    कलबुला रह थ। बSच घर पर तो ड".सी. क बार
                                                                                    Q
                                                                                  े
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                       ‘‘नह"ं  बेटू,  अSछ  बSच  9जद  नह"ं  करते।   म5 भी *s पूछ लेत ह। वह तो महज एक िसपाह"

                                                                               ै
                                                  े
               यह 9खलौना गंदा ह। अSछ बSच गंद 9खलौने स           था। हो सकता ह, होमगाड ह" हो, दूर से कौन पता
                                 ै
                                              े
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                                                                           ै
               नह"ं  खलत!ÕÕ  #दलीप  #हद"  भाषा  पर  उतर  आया    चल  पाता  ह।  खाक7  रग क7  वद”  ह"  इ2सान  को
                      े
                                      ं
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                                                                               ै
                                                                                                        ं
               था।  गैर  भाषा  म5  झूठ  बोलना  शायद  उसे  सरल   िसपाह" बनाती ह। दहशत तो सार" वद” क रग ह"
                                                                    ै
               लगा था।                                          म5 ह।
                                                                                                        े
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                       ‘‘बSच  #फर  कसे  9खलौन-  से  खलते  ह?’’         खुद को इसिलए वह *Fयुdर दने क िलए
               यह *s बSची कर सकती थी पर इससे पूव  #क            तैयार करने लगा। ले#कन घर पहुंच कर वे िसपाह"
                    े
               ÔअSछÕ  और  ÔबुरÕ  का  अंतर  
पy  हो,  उस  पर     वाली बात भूल गए। बाजार म5 घूमने और लोकल
                               े
                                                                बस- म5 लगने वाल ध,क- से वे इतना थक गए थे
                                                                                 े
               9खलौना *ा करने क7 लालसा हावी हो चुक7 थी।
               उसक7 9जद बरकरार। रोने लगी, ‘‘इतना खूबसूरत        #क ?ब
तर पर पड़ते ह" िनLालीन हो गए।
                                           ै
                                                                                                  ै
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               9खलौना गंदा कसे हो सकता ह?’’                            #दलीप  अभी  भी  जाग  रहा  ह।  आज  का
                                               े
                                                            े
                       आ9खरकार  अंितम  श~  क  _प  म5  उसन       खचा  डायर" म5 नोट #कया और #फर द"घ  िनZास
                                                                                                             े
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               पा#कग  क  कोने  म5  अलसाए  से  खड़  पुिलस  वाल    ले कर बोला, ‘‘लो भई, होली भी गई!ÕÕ #फर सोन
                                                 े
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                                                                            े
                           े
               क7 ओर संकत करते हुए कहा, ‘‘ऐसी 9जद करन           का य† करन लगा पर नींद ह #क...
                                                            े
                                                     Q
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               वाले बSच- को बटू, िसपाह" बहुत मारते ह।ÕÕ                सोचने लगा, काश! सुबह जब उठं तो सब
                                                                 ु
                       बSची  मन  मसोस  कर  रह  गई।  वह  नह"ं    कछ बदला हुआ िमले। आ9खर क8रƒमे कहां नह"ं
                                                                   े
                                                                               े
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               जानती  थी #क  िसपाह"  का  उसने  ,या ?बगाड़ा  ह    होत? 8रलायंस ˆश क #ˆज भी क6लाई मूली क7
                                                            ै
                           े
               और  वह  उस  ,य-  मारगा? पर  #दलीप  जानता  ह      नपुंसकता  दूर  नह"ं  कर  पाते  जब#क  ठेल-  पर  भी
                                    े
                                                            ै
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               #क िन‚ मrय वग|य म9
त;क- म कस-कसे ड—ड-            ताजा  दम  फल-स9bजयां...  सब  करामात  कदरत
                                                 ै
                                                   े
               का डर बसा हुआ ह।                                 क7...!
                                ै
                                                                                                         े
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                       सोच कर उसे तसUली हुई #क टली?वजन                 ओह!  मQ  मूली,  ग-गलू,  काचर-मतीर  से
                                                      े

               पर  उस  #दन  #दखाए  गए पाक  म5  घूम  रह  *ेमी-   आगे  सोच  ,य-  नह"ं  पाता?  कोई  ?बग  सोच...
                                                                                                             े
                                                                               े
                                                                                                     5
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               *ेिमका  और  ?ववा#हत  जोड-  पर  पुिलस  Vारा       दुिनया  क  सबस  Gयादा  अमीर  भारत  म...  सबस
                                                                         ं
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                             े
               बरसाए  जा  रह  थqपड़  और  ड—ड-  क  }ƒय  बSची      फा
ट-ोइग इकोनमी मेरा भारत... ?वZ गु_...
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               को याद थ। ऐस अ2य कई }ƒय- का खौफ शायद                    ये साला गुर?वंदर भी न, इ2सान का मन
                              े
                                                                पढ़  लेता  ह।  बोला,  ‘‘अबे  गध,  असल  म5  हम  ह
                                                                                            े
                                                                          ै
                                                                                                             Q
               मई – जुलाई                             60                                                                   लोक ह
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