Page 67 - lokhastakshar
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अिभ{य^ #कया इसिलए उ2ह क eप म पहचान िमली। इसी तरह *गितशील शायर" और " जनक?व - "
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सम◌ाजवाद" ?वचारधारा को अपनी नºम- ,ग़ज़ल- और गीत- क माrयम से खासआम तक पहुंचाने - ओ -
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क कारण कफ़7 आज़मी को शायर" का सुख फल " कहा गया।
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भारत क7 जंगे आज़ाद" म5 कलम क7 तलवार " तFकालीन सो?वयत संघ जाने का कई बार मौका
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से लड़ने वाले इक़ला?बय- म5 एक ?वशेष नाम िमला और कफ़7 क साथ साथ इन सभी क?वय-
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कफ़7 आज़मी का ह। उनक7 रचनाएं
वांतः सुखाय Ðलेखक- क िलए आिथ कÐसामा9जक समानता क
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न होकर सव जन #हताय का सSचा आईना ह। िलए समाजवाद रा
ता भी था और मं9जल भी।
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शोषण और उFपीड़न क 9खलाफ िनभ|कता स कफ़7 आज़मी क पाँच क?वता संह *कािशत हुए
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आवाज़ उठाने वाल, ”झंकार “आ9खर
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समाजी और िसयासी शब “आवारा सGद “
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मसल- पर बेबाक
”मेर" आवाज़ सुनो “
और बेखौफ #टqपणी
)#फUम गीत- का
करने वाल, वंिचत-,
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संकलन (सरमाया “
”
मजदूर-, कामगार-
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” नई कफ़7 गुिल
ताँ “
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और #कसान- क
उनका ग संह
रहनुमा कफ़7 आज़मी
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ह।कफ़7 Vारा रिचत
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वक नाम )
अिधकांश नGम 5
का ज2म आज़मगढ़ 9जले क ( अतहर हुसैन 8रज़वी
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,गजल और नगम कालजयी इसिलए ह ,य-#क य
िमजवां गांव म1919 म5 एक िशया जमींदार
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9जंदगी क7 हक7क़त स _ब_ कराती ह,उनक7 रचनाओं
प8रवार म5 हुआ। ज2म क7 सह" तार"ख न तो
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म लोक जीवन धड़कता ह|आम आदमी उनक7
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कफ़7 को मालूम थी न उनक प8रवार वाल- को।
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तकर"बन पांच दशक पहले उनक िम< और क?वताओं को पढ़कर या सुनकर दुःख क दलदल स
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डा,यूम5R" #फ़Uम मकर सुखदव ने 14 जनवर" को िनराशा क घन कोहर स बाहर िनकलकर अपन जीवन
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पहली बार उनका ज2म#दन उनक घर पर मनाया को बेहतर बनान क7 कोिशश करता ह। कफ़7 क7
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तभी से हर वष 14 जनवर" को उनक घर वाल शायर" ना-उ6मीद" क7
याह रात को आशा क सुनहर े
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और चाहने वाल उनका ज2म#दन मनाने लगे। *भात म बदलन क7 #ह6मत और ताकत दती ह।
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समाजवाद क पुजार" कफ़7 साहब न अपने बार म उनका सा#हFय
वा2तः सुखाय न होकर सव जन
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एक बात अनेक अवसर- पर कह" ”मQ गुलाम #हताय का पया य ह। एक उदाहरण का?बलेगौर ह
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#हदु
तान म5 पैदा हुआ आजाद ,#हदु
तान म5 बूढ़ा ” आज क7 रात बहुत गम हवा चलती ह
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हुआ और सोशिल
ट #हदु
तान म5 म_गा। फज़ , आज क7 रात न फटपाथ प नींद आयेगी
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अलीसरदार जाफर" ,*म धवन ,शैले2L और सब उठो मQ भी उठ ,तुम भी उठो ,तुम भी उठो
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वाजा अहमद अbबास क साथÐसाथ कफ़7 को भी कोई 9खड़क7 इसी द"वार म खुल जायेगी।“
मई – जुलाई 67 लोक ह
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