Page 68 - lokhastakshar
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इस नºम को शा#हद लतीफ़ न अपनी #फUम सोन क7 uयारह साल क7 उ म उ2ह-न पहली गज़ल कह"। हुआ
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िच#ड़या “म कफ़7 क7 आवाज़ म बलराज सहनी पर यूं #क उनक 8रतेदार- एवम 9जल क शायर- न नई पीढ़"
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#फUमाया था। भारत क पंजाबी भाषा क *िसO क?व क #कशोर- और नौजवान- को गज़ल का एक िमसरा
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पाश न िलखा ह – सबस खतरनाक होता ह सपन- का पं?^ (दकर गज़ल पूर" कहन क7 परपरा शु_ क7। इस
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मर जाना “?वZ क?व पाbलो नेeदा न अपनी एक बार आँसू िनकल पड़ “िमसर को मुकमUल करक
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क?वता सFय “म सपन- क बार म िलखा ह - गज़ल कहन क7 दौड़ म कफ़7 भी शािमल थ। uयारह
”
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” मQ िसफ उन चीज- को qयार करता हूँ 9जनम सपन े साल का कोई और बSचा होता तो उसक आँसू िनकल
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ह “कफ़7 साहब न भी सपन- क7 म#हमा को रखां#कत पड़त ले#कन कफ़7 न थोड़" दर म ह" गज़ल यूं कह"
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करत हुए िलखा ह अँधर ,या उजाल ,या ,न य अपन े ” इतना तो 9जंदगी म #कसी क7 खलल पड़
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न वो अपन, हसन स हो सुकन न रोन स कल पड़
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तेर काम आएंग qयार तेर अरमां तेर सपन“ मुत क बाद उसन क7 तो लुFफ़ क7 िनगाह
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जी खुश तो हो गया मगर आँसू िनकल पड़
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#फUम बहार#फर भी आएँगी “क िलए िलखा उनका
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गीत आज भी सभी को *8रत करता ह। ?पता और 8रतेदार- को कफ़7 क7 शायराना *ितभा पर
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यक7न नह"ं हो रहा था। जनाब कफ़7 साहब क7 हमसफ़र
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जहाँ एक ओरउनक7 शायर" स *भा?वत राजनेता ए .बी .
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शौकत जी क शbद- म Ð ले#कन गज़ल कहन क अंदाज़
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बध न )ांित क महान शायर कफ़7 आज़मी को काजी
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स खुश उनक ?पता न इनाम म पाकर पेन शेरवानी क
नजeल इ
लाम ,पाbलो नेeदा तथा मायकोव
क7 जैस े
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साथ साथ कफ़7 “तखलु
स उपनाम (भी #दया “और
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महान )ांितकार" क?वय- क समक रखत ह ,वह"ं
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इस तरह स आज़मगढ़ 9जल क अतहर हुसैन 8रज़वी
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* यात कथाकार असगर वजाहत न अिभनव कदम “
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अदब क7 दुिनया म कफ़7 आज़मी क _प म जान
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क कफ़7 आज़मी ?वशेषांक म उनक7 *िसO क?वता
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पहचान और मान गए। इस गज़ल को लंब समय बाद
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”जब भी चूम लेता हूँ इन हसी आख- को िचराग अँधर े
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सु*िसO गाियका बेगम अ तर न भी गाया। यह गज़ल
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म 9झलिमलान लगत ह “को अ2तरा ीय
तर क7
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दश क7 सीमाओं स पर भी अनेक मुUक- म गाई -
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क?वता घो?षत करत ह।#हद" उदू क सांझ शायर िनदा
गुनगुनाई और सराह" गई।
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फाजली क अनुसार कफ़7 आज़मी क7 शायर" ै Ð
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कफ़7 साहब का पहला का{य संह झंकार “
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सामा9जक सरोकार- क7 9जंदा िमसाल ह “ 5 े ं े Ð
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1943 म *कािशत हुआ। उ2ह-न #हदु
तान क दब
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प8रवार वाल कफ़7 को द"नी तालीम ु े
कचल ,वंिचत- शो?षत- ,गर"ब #कसान- ,मजदूर- ,
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)धािम क िश ा (#दलवाना चाहत थ 9जसस वह मौलवी बेसहारा -बेघर दिलत- एवम असहाय और ज़ुUम क7
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बन सक ले#कन बचपन स ह" शायराना त?बयत , िशकार औरत- क हक और बहतर" क िलय शायर" क
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समाजवाद" याल न उ2ह सामा9जक सरोकार- का ज8रय साथ क का?बल तार"फ कोिशश क7। उनक Vारा
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संवेदनशील शायर बना #दया। उनक घर म शायर" का रिचत औरत “नºम क7 फमा इश सभी मुशायर- म 5
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माहौलवैस ह" मौजूद था जैस #हद" #फUम- म गीत होती। औरत क7 आFमा को जगान वाली उसक हक
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संगीत। और वजूद को बतान वाली और उसको बराबर" का दजा
मई – जुलाई 68 लोक ह
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