Page 52 - lokhastakshar
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बचाए भी रखगा, और मनु;य क िलए उपयोगी ह" भी *ा होगा, जो पृgवी पर बच खुच *ाकितक
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नह"ं होगा अ?पतु उसक िलए मुनाफ वाली बात बन प8रवेश को बचाना चाहत ह। य#द पुराना शbद
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कर उसक आगे क ?वकास का रा
ता भी रा स वन- क7 र ा म5 तैनात {य?^य- क िलए
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#दखाएगा। था, तो यह कहने म5 अब #कसी को कोई गुरज़ नह"ं
इसक िलए हम5 नई तरह क7 उFपादन पOितय- होना चा#हए #क आने वाला समय रा स- क7
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क ?वकास क7 बाबत सोचना पड़गा। समय आ स यता और सं
कित क7 वापसी का समय हो
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गया ह #क हम उSच तकनीक7 क बाद सकता ह।
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*कितमूलक तकनीक7 क7 ओर मानव समाज क
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दूसर शbद- म कह तो भ?व;य को बचान का
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?वकास क आयोजन को पहल द।
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तर"का *कित म5 संपूण वापसी क अलावा दूसरा
पूर" दुिनया म5 शहर"करण का इतना अिधक नह"ं ह। बच हुए वनखंड- को और पृgवी म5
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तार हो चुका ह #क *कित क सम और संर9 त खिनज संपदा को अब ?ववेकपूण तर"क स
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संपूण प8रवेश वाले अंचल, शहर- और गांव- से पर इ
तेमाल म5 लाने वाले {य?^य- और अथ शा9~य-
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दूर सीमांत- पर बहुत छोट-छोट खंड- क7 तरह ह" क7 ज़_रत पड़गी। *कित क र क अब धीर-धीर
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बच हुए ह। कह"ं कह"ं पशुओं क िलए संर9 त वन- शहर"करण वाली स यता क भीतर भी अपने िलए
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को भी बचाया गया ह। परतु आ#दवासी और पहाड़- जगह बनाने का *यास कर सकते ह। वे
थल जो
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पर रहने वाले बहुत थोड़ से जनसमूह ऐसे ह जो शहर"करण क क)7ट क जंगल- म5 बदलने से बच
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अभी भी संपूण तः और समतः *ाकितक प8रवश गए ह, उन
थल- को *ाकितक वन
थल- क7 तरह
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और उससे जुड़" आिथ कता पर जी?वत ह। आज ?वकिसत करन क िलए बहुत बड़ आंदोलन- क7
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मानव जाित क7 उ6मीद उ2ह"ं से बची ह। य#द ज़_रत पड़गी। उन सब को हम स यता और
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अंधाधुंध शहर"करण क7 घुसपैठ उन थोड़ स सं
कित क नवरा सी पुनeFथान क7 तरह दख
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वनांचल॔ म5 भी हो गई, तो पूर" पृgवी से *कित क सकते ह। इन सबक सम92वत *यास- क Vारा
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प8रवेश वाले खंडो का सफाया हो जाएगा। तब संभव ह, हम मनु;य क7 बाहर" *कित और
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मानव जाित को महा ?वकित क दौर म *वेश आंत8रक *कित क तालमेल वाली एक नई स यता
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करना ह" पड़गा। परतु उससे पहले एक उ6मीद और सं
कित क ?वकास क7 कोई भूिमका बना
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अभी बची हुई ह। वनवासी, पहाड़" और सीमांत पाएं।
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*दश- म5 रहने वाले जो लोग *ाकितक प8रवेश स
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जुड़ अथ तं< पर जी?वत ह, अब उ2ह *कित क संपक : ए-563 पालम ?वहार, गुeाम-122017
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र क- क7 भूिमका म आना पड़गा। *कित क मो. 9814658098
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र क- क7 इस भूिमका म उ2ह अब शहर- और
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गांव- क उन तमाम सजग {य?^य- का समथ न
पंजाबी कहानी
मई – जुलाई 52 लोक ह
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