Page 28 - माँ की पर्णकुटी
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क ु छ समय बाद ह भाग दौड़ कर इस ब ती म
पीने के पानी क यव था कराई, राशन काड
बनवाये तथा मे डकल कै प लगाये। सभी
सामािजक, रा य एवं धा म क पव ब तीवा सय
के साथ ब ती म ह धूमधाम से मानाने लगीं ।
इस सभी का यह सुखद णाम नकला क क ु छ
समय बाद ह आपने पूर ब ती नवा सय के
दल म एक खास व वास हा सल कर लया।
ब च ने उ ह अपनी ‘‘मॉ “ मान लया । ज म देने वाल माताओं ने ब च को ऑखे द , क ं तु इस ‘‘
अनोखी मॉ ं “ ने ान पी यो त द । ब चे साफ-सुथरे रहने लगे, क ा म नान करके आने लगे व बड के
पैर छ ू ने लगे । गा लयॉ देने वाले ब चे भारत माता के जयकारे लगाने लगे। देशभि त से कोस दूर ब चे देश
का इ तहास जानने लगे। ना के वल ब चे अ पतु मॉ-बाप भी साफ-सुथरे रहने लगे। प हले, पढते ब च को
खाना बनाने के लए उठाकर ले जाने वाल माताएं अब वयं ब च को ‘‘मॉ“ के पास छोडकर जाने लगीं।
दोपहर म लू के थपेड ने सीमा जी के वा य को नासाज कर दया, शार रक कमजोर , के ि शयम क
कमी के कारण नाखून ट ू टना, ह य का कमजोर होना व दांत क सम या एवं धूप से झुलसी वचा भी उ ह
ना रोक पाई। एक बार उनके दोन ब चे सडक दुघ टना म बुर तरह घायल हो गए। तब भी सीमा जी अपने
ब च को भोजन करा, दवाई खला कर व उपचार कर, खुद बना क ु छ खाए पढान जाती रह ं।
ब च के प रजन भी सीमा जी क लगन व नः वाथ सेवा से अछ ू ते ना रहे। ब तीबा सय ने बरस
पुरानी ईसाई मशनर को ब ती से उखाड़ फ का। आपक ेरणा से अनेक ब च व उनके माता- पता ने मांस
खाना तथा क ु छ लोग ने शराब का सेवन व जुआ खेलना छोड़ दया है।
वत मान य- शाम 7:30 बजे एक प त- प नी इस ब ती म आते ह । म हला वांस क खपि चय से
बनी छत के नीचे जाकर, ब च के सहयोग से वहॉ द रयॉ बछवाती ह , मेज-क ु स यवि थत कर, अपने
बैग म से दवाईयो का एक ड बा, क ु छ कताब व दै नक वक शीट नकालती ह , िजतने म क ा के चय नत
मॉ नटर पुर ब ती का च कर लगा ब चो को उनक ‘‘ अनोखी मॉ ं ’’के आने क सूचना देते ह । फर आता
है 100 ब च का सैलाब। अपने हाथ म ब ग, कॉपी, पैि सल लए पढने व अपनी चोट व घाव पर दवाई
लगाने व अपनी छोट -बड़ी बमा रय का इलाज कराने । द प वलन, द प मं , सर वती व दना, व जन-गण-
मन से शु हई यह क ा, व दे मातरम् व भारत माता क जय के नार के सायं ढाई घंटे बाद समा त होती
ु
है।