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मुननार: दणक्ि भारत का कशमीर
निधगस पिववीन,
पतनवी- शवी िबवीउल हक, स.ल.प.अ.
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सभयता की र्ुरूआत स ही लोग एक खािाबिोर् मुनिार म मौसम काफी मिमौिी ह - कभी सुबह
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समुिाय प्रवृनत क रह ह। यदि दकसी क पास समय, में अतयनिक ठंर हो िाती है, तो कभी िोपहर को
अवसर और पैसा हो, तो यात्रा का पयासा मािव बािल छा िाते है, कभी तेि िूप आ िाती है तो कभी
मि सहि ही पहादडयों, पव्षतों और समुद्रों की गोि िोपहर में अिािक बाररर् होिे लगती है। बाररर् के
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म िला िाता ह। प्रकनत क अज्ात रहसय आि रूकते ही तारे और िाँि की िािुई िाँििी बािलों के
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भी हम बार-बार अपिी ओर आकपर्षत करत ह। पीछे से झांकते हुए मालुम होते हैं। सथािीय लोगों के
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इसनलए, िब मुझ दकसी दकर्ोर वैज्ानिक की तरह नलए बाररर् का मौसम सभी मौसमों में सबसे सुंिर
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अवकार् नमलता ह, तो मैं अपि मजसतषक रूपी है। बाररर् के मौसम में िब पहाड की िोदटयाँ बािलों
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कमर स प्रकनत की सुिरता को कि करि क नलए में अपिा िेहरा नछपा लेती हैं तो ऐसा प्रतीत होता है
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निकलती हूं। सुसत र्हरी िीवि स हटकर हम मािो आप सवपि-िगरी में पहुँि गए हों।
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अकटूबर 2017 म ईविर की िरती, करल क एक
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कतारो म लग ओक क पड सुिहर आभूरणों
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िगर मुनिार गए जिस अंग्रिी म "गॉडस ओि
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स सि हुए ह। यदि आपको अभी भी बाररर् क
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कट्ी" कहा िाता ह। करल राजय को ‘भगवाि का पािी स भीग हुए िायबागाि क बगीि का र्ाििार
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पप्रय घर’ भी कहा िा सकता ह। सवयं भगवाि दृशय समरण ह, तो आपका मि अतीत की यािों
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ि अपिी इचछा स भारत क इस िजक्णी राजय म सवतीः ही खो सकता ह। िायबागाि का हरा
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का निमा्षण दकया ह। करल की अद्ुत प्राकनतक कालीि पय्षटकों का सवागत करता हुआ प्रतीत होता
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सुिरता िुनियाभर क पय्षटकों को आकपर्षत करती ह। िाय की पपत्तयों को कस तोडा िाता ह? इस
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ह। हमारा गंतवय करल का छोटा-सा पहाडी र्हर कस पररषकत दकया िाता ह? मैंि य सबकछ टाटा
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मुनिार था जिस "िजक्ण भारत का कशमीर" क टी संग्रहालय म िखा। मैंि अंग्रिों की कई िीण्ष
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िाम स िािा िाता ह। समानियों और कब्गाहों को भी िखा। पब्दटर्राि
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मुनिार एक कम आबािी वाला और र्ात क़सबा के िौराि मुनिार की ग्रीषमकालीि आश्रय के रूप में
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ह िो िारों ओर स िौडी पहादडयों स नघरा हुआ ह। एक अलग पहिाि थी।
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र्हर की ओर िाि वाली सडक बहुत सुिर ह और
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मुनिार की सडकों पर गम्ष मसालिार िाय का
हर घर की छत स पहादडयों का ििारा अद्ुत ह।
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सवाि आि भी मरी जिह्ा पर ह। यहा क िाय क
इस पहाडी क कद्र म कवल ग्रीि टी की खती क
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सटॉल म हम िो पबसकट, कक और ककीज पात
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बागाि ह। लाल, बैंगिी, पील फल पहाडी की िरारों
ह उसम हम इलायिी, लौंग, िालिीिी, तिपत्ता
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स बाहर झाकत हुए प्रतीत होत ह। रासत म हमि
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और अनय मसाल नमलग। मुनिार की सडकों पर
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िखा दक हवाए िविार, ओक, रबर और अनय पडों
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टहलि क िौराि सडक क दकिार जसथत िुकािों
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की पपत्तयों को मािो िूम रही हो। कभी-कभी बािल
स अलग-अलग मसालों की खुर्बू आ रही थी।
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उनह गल लगा रहा था। इस पहाडी क्त्र की प्रकनत
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हमलोगों क नलए मुनिार म कल नमलाकर यह एक
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की असीम प्राकनतक सुिरता मुझ याि दिलाती ह
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अचछा अिुभव रहा। इसनलए, हम खुि को बहुत सार
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दक हम दकसी दिवय निवास म थ। े
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मसाल खरीिि स िही रोक पाए।
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