Page 48 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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पुरोदहत का कछ िकसाि ि हो, इसी कारण ठाकर र्ास्त सभा का आयोिि दकया था। बडे-बडे पवविािों,
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ि इस घटिा का जिक्र मथुर स िही दकया। पर उस र्ास्तपविों को इस सभा में आमंपत्रत दकया गया था।
घटिा क कछ दििों बाि ही दकसी कारण स कल भैरवीिी िे सभी के सामिे र्ास्त पविार कर ठाकु र
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पुरोदहत की िौकरी िली गई और उस मथुर क घर के एक अवतार होिे का प्रमाण दिया था।
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स निकाल दिया गया। तब िाकर ठाकर ि मथुर
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मथुर ठाकर का काफी आिर दकया करत थ।
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को उस बीती घटिा क बार म बताया। यह सुिकर
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ठाकर की सभी प्रोयििीय सामनग्रयों की वयवसथा
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मथुर ि रोर म कहा था दक यदि उस दिि इस
भी दकया करत थ। लदकि मथुर आंख मूि कर
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घटिा की िािकारी उनह हो िाती तो इसम कोई
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दकसी भी बात को िही माित थ। उिकी आिुनिक
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संिह िही की निजचित ही इस घर म एक ब्ाहण की
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नर्क्ा उिको ऐसा करि स रोकती थी। परतु उिक
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हतया हो िाती।
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इसी अपवविास एवं संिह की भाविा को ईविर ि
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ठाकर को मथुर उिकी इचछािसार पवनभनि ठाकु र के रूप में प्रकट होकर िूर दकया था। मथुर
सथािों क िर््षि पर ल िाया करत थ। उिकी भी ईविर के इस अवतार सवरूप पुरूर के सहायक
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इचछािसार िाि हतु जितिी भी सामनग्रयों की के तौर पर इस िरती पर अवतररत हुए थें। मथुर
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आवशयकता पडती थी उसस भी कई अनिक पररमाण के मृतयु के पचिात ् ठाकु र िे कहा था दक श्री श्री
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म मथुर सामनग्रयों की वयवसथा करवा दिया करत िगिमबा का रथ सवंय आकर उनहें यहां से ले गई
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थ। दकसी भी पवरय पर ठाकर क पूछि की अपक्ा हैं। उस समय वासतव में ठाकु र िे इस दृशय का
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िही दकया करत थ। िजक्णविर मंदिर क भंरारी को साक्ात ् िर््षि दकया था। महामाया विारा भेिे गए
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इस पवरय म नििर् भी दिए िा िुक थ। अिनगित एक भक्त मथुरमोहि उफ्ष मथुरािाथ पवविास के
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सािु-महातमा तीथ्ष यात्रा क िौराि िजक्णविर म ही वण्षमय िीवि का अंत हुआ। मथुर के िीवि में
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कछ दििों क नलए पवश्राम दकया करत थ। ठाकर जििकी कृ पा सिैव बिी रहीं, वे के वल भगवाि के
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कई बार अपिी इचछािसार पवनभनि सामनग्रयों की अंर् या अवतार िहीं थें बजलक वे सवंय पूण्ष ब्ह
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भट कर उनह उिकी साििा माग्ष म सहायता दकया ईविर ठाकु र श्री श्री रामकृ षण िेव थें। पववेकािि
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करत थ। लदकि भैरवी िोगविरी ि िब ठाकर को िे यह कहा था दक उनहें एक अवतार के रूप में
एक अवतार की सवीकनत िी तब मथुर यह मािि संबोनित करिा उिके कि को सवंय छोटे करिा
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को रािी िही थ। भैरवी क ही अिरोि पर मथुर ि िैसा होगा।
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आप ककसवी व्यज्् स जजस भाषा को वह समझ्ा हो उसमें बा् किें ्ो
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बा् उसकी समझ में आ्वी ह। लककन आप अगि उसस उसकी मा्ृभाषा
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में बा् किें ्ो वह उसक हदल में जा्वी ह।
- नलसन मंडेला
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