Page 47 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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ही ऐसा हो रहा ह। मा ठाकर क माधयम स उिकी के पपता समाि थें। मथुर भी ठाकु र को बाबा कहकर
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सचिी भपक्त भाविा स दकए गए पूिा स प्रसनि ह ही पुकारते थें। मथुर ठाकु र को एक संताि की भांनत
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और अपिी कपा मथुर पर बरसा रही ह। उिका यह संभालते थें और पयार भी करते थें। मथुर अथवा
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पवविास एक और घटिा क बाि पककी हो गई थी। उिकी पत्नी िगिमबा कोई भी अपिी बात ठाकु र से
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एक दिि मथुर िजक्णविर क अपि कक् म एक िहीं छ ु पाते थें। वे िािते थें दक ये इंसाि मात्र ही िहीं
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आराम कसती पर बैठ हुए थ। िूर ही ठाकर अपि एक ईविर हैं और इिसे अछ ू ता या अंिाि कु छ िहीं
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घर क बाराि म टहल रह थ। तभी अिािक मथुर है। मथुर और िगिमबा िे बहुत दििों तक ठाकु र को
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ि एक अपववििीय दृशय अपि घर म रखा। संताि
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िखा था। टहलत क्रम म की तरह उिकी सवा भी
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िब मथुर ि ठाकर को की एवं यहा तक दक व
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िखा तो सामि मुंह क एक ही घर म सोत भी
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तरफ उिका नसर साक्ात ् थ। ठाकर की सवा क
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मा काली का था और नलए मथुर ि सोि-िािी
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िब पीछ मुड तो साक्ात ् क बत्षि, हुकका इतयादि
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महािव का िर््षि हुआ की वयवसथा भी कर रखी
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था। पहल उनहोंि सोिा थी। बहुमूलय अलंकार
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दक यह उिका भम ह। एवं पवनभनि पोर्ाक भी
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परतु िब उनहोंि पुिीः िी। ठाकर को दकमती
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अपिी आंखों को मसला सामनग्रया िकर मथुर
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और दफर िखा तो ठीक अपि आप को िनय
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वही दृशय। ऐसा उनहोंि समझत थ एवं खुर्ी का
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एक बार िही बजलक कई अिभव करत थ। ठाकर
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बार िखा और िजक्णविर विारा उि वसतुओं को
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क इति बड कता्ष-िता्ष एक बार इसतमाल क
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वहा स उठकर िौडत हुए बाि छोड िि क बाि भी
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िाकर ठाकर क पैरों म िा मथुर पबलकल भी गुससा
नगर। ठाकर यह िखकर िही करत थ। व िाित
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सनि हो गए। मथुर ि थ दक ठाकर उिक बाबा
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ठाकर क पैरों को पकड चित्रकार - श्ीमती निा दास, क समाि ह।
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हुए कहा- 'बाबा! आप ही बिन-सुश्ी रूपा क ु मारी, कचनष्ठ अनुवादक
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मथुर क घर म ठाकर
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म मुझ साक्ात ईविर क
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की इतिी खानतरिारी और उिक प्रभाव को िखकर
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िर््षि हुए ह।' तब ठाकर ि कहा था दक मथुर क
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उिक कल पुरोदहत उिस ईषया्ष भी करत थ। एक
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भागयिक्र म यह ह दक "मथुर क ईष्टिव िहिारण
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दिि ठाकर िब भाव समानि म लीि थ, तभी कल
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कर सब समय मथुर क ही संग रहग।" वासतव म
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पुरोदहत ि उिस पूछा दक इस घर म उिक इस
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मथुर क जिति भी पवघि, बािाए एवं परर्ानिया
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प्रभाव का कया रहसय ह? ठाकर ि अपिी लीिता
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थी वह सहि ही टल िाया करती थी। ठाकर की ही
क कारण उत्तर िही दिया। पुरोदहत को लगा दक
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कपा स ऐसा हो रहा था और इसी अहसास क कारण
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र्ायि ठाकर क िािू-टोिो ि मथुर को अपि वर्
मथुर उिकी सवा म कलपतरू बि गए।
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म कर रखा ह। उत्तर ि नमलि पर वह िुपिाप
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अधयाजतमक पवरयों क मामलों म ठाकर मथुर ठाकु र को लात मार कर वहां से िले गए। परंतु कु ल
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