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सुख का रहसय





                             सवव्ा िानवी, तनजवी सधिव
                                                   े
                                            े
                             का्या्षल्य महातनदशक लखापिीक्ा
                             प्या्षविण एवं वैज्ातनक ववभाग, नई हदलली

                                           ँ
                                                            े
                                                     ै
                              ऐ सुख तू कहा नमलता ह, कया तरा कोई पकका पता ह     ै
                              कयों बि बठा ह अििािा, आजखर कया ह तरा दठकािा।
                                                                   ै
                                                                      े
                                        ै
                                            ै
                                        ँ
                                                                       ं
                                    ँ
                                कहा कहा ढूंढा तुझको, पर तू ि नमला कही मुझको
                           ढूंढा ऊि मकािों म, बडी बडी िुकािों म, सवादिष्ट पकवािों म, ें
                                                               ें
                                   ें
                                             ें
                                 ँ
                                                      े
                              वो भी तुझको ही ढूंढ रह थ, बजलक मुझस ही पूछ रह थ   ें
                                                                             े
                                                   े
                                                                   े
                                  कया आपको कछ पता ह, य सुख रहता कहा ह       ै
                                               ु
                                                                          ँ
                                                           े
                                                        ै
                             े
                          मर पास तो िुीःख का पता था, िो सुबह र्ाम अकसर नमलता था
                            े
                            े
                          परर्ाि होकर नर्कायत नलखवाई, पर य कोनर्र् भी काम ि आई
                                                             े
                                                    ै
                                   उम्र अब ढलाि प ह, हौसला अब थकाि प ह     ै
                                                                         े
                                                  े
                                                                          ै
                                                   े
                                                  े
                                                ै
                                ँ
                               हा उसकी तसवीर ह मर पास, अब भी बिी हुई ह आस
                                 मैं भी हार िही मािंगा, सुख क रहसय को िािंगा
                                              ं
                                                   ू
                                                                           ू
                                                            े
                                                          े
                                बिपि म नमला करता था, मर साथ रहा करता था।
                                                           े
                                        ें
                                                                     े
                                      े
                                                        े
                             पर िब स मैं बडा हो गया, मरा सुख मुझस िुिा हो गया
                                             ं
                               मैं दफर भी िही हुआ हतार्, िारी रखी उसकी तलार्
                             एक दिि िब आवाज य आई, कया मुझको ढूंढ रहा ह भाई
                                                  े
                                                                             ै
                                                        े
                                                         े
                                                                  ें
                               मैं तर अंिर छ ु पा हुआ हूँ, तर ही घर म बसा हुआ हूँ।
                                   े
                                    े
                                       ं
                                            ु
                                         ै
                                                                ें
                               मरा िही ह कछ भी मोल, नसककों म मुझको ि तोल
                                 े
                                                                  े
                                                        ें
                                मैं हूँ बचिों की मुसकािों म, मा बाप क आनर्वा्षि म ें
                                                            ँ
                                                                     े
                                                                        े
                                       े
                                      े
                              हर पल तर संग रहता हूँ, और अकसर तुझस य कहता हूँ
                                                                 े
                                                                      े
                                मैं तो हूँ बस एक अहसास, बंि कर ि तू मरी तलार्
                           िो नमला उसी म कर संतोर, आि को िी ल कल की ि सोि
                                                                   े
                                          ें
                                 े
                            कल क नलए आि को ि खोिा, मर नलए कभी िुीःखी ि होिा
                                                           े
                                                           े
                                          े
                                         े
                                       मर नलए कभी िुीःखी ि होिा.........
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