Page 26 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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शुभ अशुभ







                             ं
                             िजवी् िॉ्य,
                             वरिष्ठ लखापिीक्क
                                     े
                                        े
                       ें
             वैस  तो  म  वयपक्तगत  रूप  स  खुि  को  कछ  और प्रकृ नत की कु छ आलौदकक घटिाओं को आदिम
                े
                                                    ु
         हि  तक  िाजसतक  मािता  था  और  अंिपवविासों  पुरूर  तब  िहीं  समझते  थे।  कारण  यह  है  दक  वे
         म यकीि िही करता था दफर भी िैस-िैस समय  उतिे पवकनसत िहीं थे। उनहोंिे अपिी सफलता या
                      ं
                                            े
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                                                      े
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         बीतता गया, तो मैि पाया दक यदि मर सामि स  पवफलता या र्ारीररक जसथनत के  नलए कई बेतुके
                                     े
         अभी एक पबलली सडक पार कर तो मैं ढुलमुल हो  पवविासों को जिममेिार ठहराया। बार-बार होिे वाले
                                                    ं
                                                  े
         िाता हूँ, और ख़ासकर तब िब पबलली काल रग  संयोग  या  अफवाहें  भी  अंिपवविास  के   पथ  तैयार
                                                               ैं
         की हुई तो……….।                                 करती ह।
             20 साल भारतीय वायु सिा म सवा करत हुए           भारत म अंिपवविास की पकड हर िगह ह। इस
                                           े
                                                                   ें
                                                                                                ै
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         मुझ  िर्  म  लगभग  सभी  िगहों  पर  घूमि  का  पवरय पर मैं िोहरािा िाहता हूँ दक मैं वयपक्तगत
         अवसर नमला। पोजसटग क कारण दकसी िगह पर  रूप से खुि को कु छ हि तक िाजसतक मािता हूँ
                                े
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                                                 ं
                                                      ं
         2 साल, कही 3 या 4 साल पबताए  और कही कही  और इस लेख में वयक्त अनभमत मेरी वयपक्तगत राय
                          े
         तो मैं थोड समय क नलए असथायी डयूटी पर रहा।  है और दकसी पवर्ेर िानत, समुिाय के  पवविास और
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                                                  े
                                   ं
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         इस तरह स मुझ एक बार िरीगढ हवाई अडर पर  आसथा को िोट पहुँिािे के  नलए िहीं है। भारत में
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         एक हफत क नलए ठहरि का मौका नमला। िूदक  िम्षगुरुओं,  जयोनतपरयों,  िािूगरों  आदि  के   निदहत
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                                                   ँ
         मुझ कछ समय क नलए ही वहा रूकिा था और
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                                       ं
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                                 े
         बाि म मुझ मौका ि नमल, इस सोि क साथ मैंि
               ें
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                  ें
         िरीगढ म अनिकतम सथाि घूमि की कोनर्र् की।
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                                                 े
         उस िौराि मुझ िो िािकारी प्राप्त हुई उसी ि मुझ
                                     े
         इस पवरय म नलखि क नलए प्रररत दकया।
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                                                      े
                                               े
             उस समय िरीगढ र्हर म सैंतालीस सकटर थ
                                    ें
                                  ें
                           े
         और इि सैंतालीस सकटरों म तथाकनथत अर्ुभ कोई
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                 े
         एक पवर्र िंबर इि सैंतालीस सकटरों स गायब था।
                                     े
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                                              े
             वैस  तो  अंिपवविास  अिादि  काल  स  ही  एक
                        ै
         परपरा/पवरासत ह। अंिपवविासों की उतपपत्त मुखयतीः
           ं
         अििाि भय क कारण तथा सुरक्ा और कलयाण
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                         ै
         क आग्रह स हुई ह। मिुषय  अपिी र्ारीररक भलाई
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                                                      े
                                                े
         क नलए तथा खतरों, बीमाररयों और मृतयु स बिि
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         की इचछा म, वासतपवक या कालपनिक, दकसी भी
                            ैं
         हि तक िल िात ह। इसक अलावा सफलता की
                                  े
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                          े
         इचछा तथा असफलता का रर भी उनह अंिपवविासों
                                           ें
                                                        सवाथशों ि अंिपवविासों क प्रसार और सथायीकरण म
                                                                                                     ें
                                                                             े
                                                                े
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                        े
         म  पवविास  करि  को  मिबूर  कर  िता  ह।  िीवि
                                                        मिि की ह। ख़ासकर अिपढ, अनर्जक्त, अज्ािी
                                                                   ै
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