Page 28 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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  अगर एक काली पबलली घर पर आती ह, तो  समझाया िा सकता है। िब आप तिावग्रसत होते
                                                  ै
              यह समृपद्ध का प्रतीक ह - यह आयरलैंर म  हैं, तो यह आपके  पेट पर भी पड सकता है। िीिी
                                   ै
                                                      ें
              प्रिनलत एक अंिपवविास ह।                   तुरत गलूकोि तैयार करती ह िो र्रीर को ऊिा्ष
                                                                                   ै
                                     ै
                                                           ं
                                                                     ै
             िम्षिी म अगर कोई पबलली दकसी क साथ         प्रिाि करती ह और िही का र्ीतलि प्रभाव होता
                                                े
                      ें
                                                         ै
                                                                    े
                                                                                                     े
                                                                                े
                                                        ह,  इि  िो  क  संयोिि  स  एक  वयपक्त  को  अपि
                                           े
                     ै
              िलती  ह  तो  उस  सौभागय  लाि  वाला  कहा
                              े
                                                                                 े
                                                                                            े
                                                        ऊिा्ष सतर को बिाए रखि और अपि र्रीर को
                    ै
              िाता ह। लदकि अगर पबलली िली िाए उस
                        े
                                                      े
                                                                  े
                                                          ं
                                                                     ें
                                                                                          ै
                                                        र्ात  करि  म  मिि  नमल  सकती  ह।  कई  लोगों
                                                     े
              िुभा्षगय  समझा  िाता  ह  कयोंदक  यह  उिक
                                    ै
                                                                             े
                                                                                े
                                                                                    ्ष
                                                        को इस ररवाि क पीछ क तक का ज्ाि िही ह,
                                                                                                  ं
                                                                        े
                                                                                                    ैं
                                                      ैं
                                    ै
                            े
              साथ "भागय" ल िाती ह। आप भागयर्ाली ह
                                                        पररणामसवरूप उनहोंि इस एक निभ्षरता बिा दिया
                                                                           े
                                                                               े
              अगर कोई पबलली रासत को बाए स िाए पार
                                   े
                                           ं
                                             े
                                                  ं
                                                         ै
                                                        ह और कई लोगों क नलए कमिोरी का स्ोत बि
                                                                          े
              करती ह।
                     ै
                                                        गया ह।
                                                              ै
                     ें
             असल  म,  बर्क,  यह  सब  तकसममत  या
                         े
                                           ्ष
                                                                 े
                                                                                          ं
                                                                                  े
                                                                          े
                                                                                            े
                                                                                               ं
                                                  े
                         ै
                       ं
         नयायसंगत िही ह। िैसा दक ग्रूिो माकस्ष ि इस         आपि िुकािों क विार क बाहर बि िीबू और
                                                                               े
                                                               े
                 ें
         संबंि  म  ठीक  ही  कहा  था,  "एक  काली  पबलली   नमि्ष  क  संयोिि  को  िखा  होगा।  इसका  प्रयोग
                                                                               े
                                    ै
                    े
                                                      ै
              े
         आपक रासत को पार करती ह तो यही िर्ा्षता ह       बुरी  िजर  को  िूर  रखि  और  िकारातमक  ऊिा्ष
                                                                                       े
                                                                े
                                                                          ें
                                                                                                े
                                                                              े
                                                                                     े
                                                                                             े
         दक वह िािवर कही िा रहा ह"। ि कछ जयािा,         को आपक सथाि म प्रवर् करि स रोकि क नलए
                                            ु
                                     ै
                           ं
                                                                                      े
                                                                     ै
                                                                               ं
         ि कछ कम।                                       दकया िाता ह। हम िही िाित दक यह दकतिा
             ु
                                                                 े
                                                        सि ह, लदकि यह सदियों पुरािी मानयता कीटों
                                                              ै
                                                  े
                                                     ैं
                              े
             अब थोडा बिपि क समय को याि करत ह।
                                                                                          ै
                                                        को िूर रखि म मिि कर सकती ह! नमि्ष और
                                                                    े
                                                                       ें
         मुझ याि ह दक बिपि क दििों म िब परीक्ा िि
                   ै
             े
                               े
                                                      े
                                        ें
                                                    े
                                                                       े
                                                                            े
                                                        ताि िीबू को छिि क नलए इसतमाल दकया िाि
                                                                          े
                                                                                      े
                                                               ं
                                                                                                     े
                                                            े
                                              ें
         िात थ तो एक गहरी िारणा थी दक हम अंरा या
             े
                े
                                                                               े
                                                                                                     ै
                                                        वाला सूती िागा फलों स एनसर को सोख लता ह
                                                                                                े
         कला िही खािा िादहए, ऐसा ि हो दक पररणाम
          े
                  ं
                                                                    ं
                                                                        ै
                                                                                                     े
                                                        और िो सुगि फलती ह वह कीडों को िूर रखि
                                                                              ै
                       े
                                          ँ
            ें
                े
                     े
                                     े
                         े
         हम अंर या कल क समाि नमल। यहा तक दक हम
                                                        म मिि करती ह।
                                                          ें
                                                                       ै
             े
                                   े
         इति साहसी िही थ दक हमि इि वसतुओं को िखा
                                                   े
                        ं
                          े
                                                             ु
                                                                     ं
                                                                       ैं
                                                                                                 े
                                                            कछ प्रथाए ह िो अब बंि होिी िादहए लदकि
                 ु
         भी हो। कछ र्रारती छात्र िूसरों को दिखाि क नलए
                                                 े
                                               े
                                                                                                 े
                                                        अभी भी अंिपवविास क िाम पर िारी ह। िैस की
                                                                            े
                                                                                            ै
               े
                         े
                            े
          ु
                 े
         कछ कल भी लात थ। अब मैं समझता हूँ दक यह
                                                        सूया्षसत  क  बाि  िाखूि  ि  काटिा।  इस  प्रथा  की
                                                                 े
                                                      े
         एक निरािार अंिपवविास था। अंरा या कला खाि
                                              े
                                                                             ें
                                                        र्ुरूआत प्रािीिकाल म हुई थी कयोंदक प्रकार् की
                                           े
                    े
                               े
                                       े
         का परीक्ा क पररणाम स कोई लिा-ििा िही ह।
                                                   ै
                                                 ं
                                                                                                ै
                                                                     ें
                                                           ु
                                                        अिपजसथनत म दकसी को िोट लग सकती ह। यह
             भारत  कई  आसथा  मानयताओं  और  कई
                                                                                   े
                                                        उस समय की जरूरत थी लदकि आि यह मात्र
         अंिपवविासों  का  िर्  ह।  लदकि  सभी  आसथा  या
                              ै
                         े
                                  े
                                                                                                    ैं
                                                                            ं
                                                                    ै
                                                        अंिपवविास ह। अनिकार् लोग िो अंिपवविासी ह,
                      ु
                                         े
         अंिपवविास  िकसाि  िही  पहुंिात।  यह  उिक
                                                     े
                                 ं
                                                        व यह भी िही िाित दक य अंिपवविास वासतव
                                                                            े
                                                                                   े
                                                                      ं
                                                          े
                                        े
                   े
                           ु
         अजसततव क नलए कछ कारण होि का एक प्रमाण
                                                        म अजसततव म कस आए और आँख बंि करक या
                                                                          े
                                                          ें
                                                                     ें
                                                                        ै
                                                                                                 े
         ह जिस पवज्ाि ि तो असवीकार कर सकता ह और
          ै
               े
                                                 ै
                                                                                              े
                                                        तो  अििाि  म  या  दकसी  अज्ात  भय  स  उिका
                                                                   े
                                                                      ें
                                   ै
                   े
         ि ही अवहलिा कर सकता ह।
                                                                     े
                                                        अिसरण करत ह।
                                                                       ैं
                                                           ु
                े
             िैस दक दकसी महतवपूण्ष परीक्ा या काय्ष क
                                                     े
                                                                                  ै
                                                            अब सवाल यह उठता ह दक ऐसी कया बात
                                  े
                          े
         नलए बाहर निकलि स पहल िही और िीिी खािा।
                             े
                                                                  ें
                                                         ै
                                                                                                   ै
                                                                                            े
                                                        ह िो उनह इस अज्ात भय की ओर ल िाती ह?
         बहुत स लोग, िो इस भारतीय ररवाि क ‘सौभागय’
                े
                                            े
                                                        मर दहसाब स यह कवल एक िीि ह –"ज्ाि की
                                                                           े
                                                           े
                                                                    े
                                                          े
                                                                                          ै
                      े
          े
                                  े
                                                   े
                                              ं
         क दृपष्टकोण स पूरी तरह स इिकार िही करत ह
                                                      ैं
                                                           ु
                                                        अिपजसथनत" िो दकसी भी प्रिलि/अभयास को
                 े
                                                     ै
         और  इस  पीढी-िर-पीढी  सवीकार  दकया  गया  ह।
                                                        अंिपवविास बिाि म महतवपूण्ष भूनमका निभाती
                                                                           ें
                                                                        े
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                                             ्ष
         सदियों  पुरािी  इस  प्रथा  को  सपष्ट  तक  क  साथ
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