Page 33 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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इचछा शणक्त
कात््षक िंद्र गा्यन,
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सहा्यक लखापिीक्ा अधिकािी
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आकार् अपि गरीब माता-पपता की सबस छोटी भी वयपक्त के आगमि पर उसे गेट खोलिा तथा
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संताि था। वह िार भाई एवं िो बहिों म स सबस सलामी भी िेिी पडती थी। साथ ही बाबुओं के बैग
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छोटा था। उसका पररवार बहुत बडा था दकतु िररद्र गाडी से उठाकर उिके िैमबर तक ले िािा पडता
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था। िूसरी संतािों की अपक्ा आकार् को उसक था। कॉनट्ेकटर के अिीि होिे के कारण दकसी भी
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माता-पपता बहुत पयार करत थ। िहा उसक िूसर एक सथाि पर डयूटी सथायी िहीं थी।
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भाई-बहि माता-पपता क कामों म हाथ बँटात थ,
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सैकयोररटी गार की यूनिफॉम्ष पहिि म उस
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वही आकार् को इि सभी स छ ू ट प्राप्त थी।
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काफी र्म्ष आती थी। उसका मि यह पबलकल भी
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आकार् बिपि स ही पढाई-नलखाई क मामल माििे को तैयार ि था दक वह एक सैकयोररटी गार्ष
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म खराब िही था। उचि माधयनमक की परीक्ा था। इसी िौराि आकार् की माँ को कैं सर हो गया।
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उत्तीण्ष होि क बाि कोलकाता क एक कॉलि म एक साल तक बीमारी से लडते रहिे के बाि उिका
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उसका िाजखला हो गया। गाव की पृष्ठभूनम वाल नििि हो गया। यह घटिा आकार् के नलए एक
आकार् क नलए कोलकाता पबलकल अििाि र्हर वज्रपात के समाि था। वह इस घटिा से इतिा
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था। आकार् क आस-पास क घरों म पबिली थी आहत हुआ दक दिर्ाहीि हो गया। वह अपिी माँ
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दकतु उसक घर म िही थी। वह रात म लालटि के बहुत करीब था। अब वह माँ के पबिा कै से इस
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िलाकर पढाई दकया करता था। बीि-बीि म रलव िुनिया में रह पाएगा, यह सोिकर ही वयाकु ल हो
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पलटफॉम्ष की लाईट म भी वह पढाई करि िला उठता था।
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िाता था। पररवार की िररद्रता उसक पढाई म बािक आकार् क पपता ईविर-भपक्त म लीि रहि वाल
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थी, जिसक कारण उसका अधययि काफी प्रभापवत वयपक्त थ। पत्नी की मृतयु क उपरात उिकी गया,
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होता था। अपि बचिों क िो वक्त की रोटी क कार्ी, वृिावि की यात्रा काफी बढ िुकी थी। िीर-
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िुगाड क नलए उसक माता-पपता को काफी महित िीर उिका पररवाररक बिि ढीला पडि लगा। अब
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करिी पड रही थी। वह हमर्ा सोिता रहता था आकार् सैकयोररटी गार की िौकरी स छ ु टटी क
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दक उस दकसी भी तरह िौकरी करिी होगी, तादक बाि घर िही लौटता था। वह कोलकाता क ही एक
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उसका घर आराम स िल सक। कारखाि म रह िाया करता था। कारखाि का माहौल
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एक वर्ष की कॉलि की पढाई करि क बाि इतिा अचछा ि था, िोसत-बंिु भी अलग ही दकसम
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पबिा दकसी को बताए उसि अिािक ही पढाई छोड के थे। वह सोिता रहता था दक वह इस िुनिया में
िी। उसका भपवषय घोर अंिकार की तरफ बढ रहा अके ला ही है। उसे अपिी भपवषय की निंता सताए
था। आकार् बिपि स ही जिद्ी एवं पवद्रोही प्रवृपत्त िा रही थी। भपवषय तो पबलकु ल ही अंिकारमय था,
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का था। उसि सैकयोररटी गार की िौकरी कर ली। वह के वल वत्षमाि में ही िीए िा रहा था।
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इसस बदढया काम और िही नमल सकता था। इस
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एक छोटी सी घटिा ि उसक िीवि को बिल
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िौकरी म उस 12 घंट की नर्फट डयूटी करिी पडती
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कर रख दिया। इसी िौराि मोहिा िामक लडकी
थी िो सुबह 8 बि स रात 8 बि तक िलती थी।
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स उसका पररिय हुआ। मोहिा कोलकाता क एक
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उसकी तैिाती एक कारखाि क गट पर थी। दकसी
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