Page 35 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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         काफी याि आती थी। दकतु आकार् क नलए मुजशकल  की परीक्ा पास कर ली’। प्रथम प्रयास में ही रेलवे
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         तब  होि  लगी  िब  उसक  ररलीवर  का  डयूटी  पर  की परीक्ा पास करिे के  बाि प्राप्त हुए नियुपक्त पत्र
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                                      े
         आिा बंि हो गया। अब तो उस एक क बाि एक  को िेख कर वह खुर्ी से झूम उठा। उसे अपिे-आप
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         लगातार डयूटी करिी पडती थी। उसकी इस समसया  पर यकीि ही िहीं हो पा रहा था। उस दिि तो वह
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         को समझि वाला कोई भी िही था।                    सारी रात खुर्ी क मार सो भी िही सका। उसकी
                                                                             े
                                                        आँखों म बार-बार आँसू आ िात, िो गम क िही,
                                                                ें
                                                                                                    ं
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             आकार् यह सोिि लगा दक िीवि अब इस
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                                                        खुर्ी क आँसू थ। उसकी इस सफलता की खबर पूर
                                                                      े
                                                                                                     े
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         तरह िही िल सकता। उसि अिािक सैकयोररटी
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                                                        मुहलल तथा ररशतिारों म फल गई थी और व सभी
                                                                              ें
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         गार  की  िौकरी  छोड  िी  तथा  दफर  स  बरोिगार
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                                                        आचिय्षिदकत थ। उि लोगों ि तो कभी सोिा भी
                                                                                   े
         हो  गया।  उसका  माग्षिर््षि  करि  वाला  भी  कोई
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                                                        िही था दक आकार् को सरकारी िौकरी भी नमल
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         िही था। वह भारत क भूतपूव्ष राष्ट्पनत रॉ. ए.पी.
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                                                        पाएगी।
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         ि. अबिुल कलाम की दकताबों को पढि लगा तथा
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         उिस काफी प्रररत हुआ और िीवि म बड-बड सपि            आकार्  को  रलव  म  एक  सरकारी  कम्षिारी
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                                                                         े
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         भी िखि लगा। इस िौराि वह सरकारी िौकरी पाि  होिे के  कारण अपिे-आप पर काफी गव्ष हो रहा
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         का सपिा िखि लगा और इसस संबंनित दकताबों  था। उसिे खूब मि लगाकर रेलवे में अपिी सेवाएं
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         को भी खरीि कर लाया। इसक बाि उसि पढाई  िेिी र्ुरू कर िीं। वह कभी भी काम में कोताही
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         र्ुरू कर िी। उसि एक बहुत बडी िुिौती ल ली थी।  िहीं करता था। वह रेलवे में एक निष्ठावाि सैनिक
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         मुहलल क लडक उस िखकर उसका मिाक उडात  की तरह काम करिे लगा। अब उसकी एक अलग
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         थ और कहा करत थ दक य सब करक सरकारी  िुनिया बि िुकी थी। उसके  कदठि पररश्रम, निष्ठा
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         िौकरी िही नमला करती। व सभी उसक मिोबल  एवं संिीिगी के  िेखते हुए रेलवे की तरफ से उसे
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         पर िोट करत थ।                                  िो बार सव्षश्रेष्ठ कम्षिारी (बैसट एमपलॉई) का जखताब
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             आकार्  ि  तभी  प्रनतज्ा  की  दक  वह  अब  तो   भी दिया गया।
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         सरकारी  िौकरी पा कर  ही  िम  लगा।  अब  उसि         आकार् अब िीर-िीर अपिी िररद्रता स मुक्त
         अपिी  कमर  कस  ली  और  कदठि  पररश्रम  करि  होिे लगा। दकं तु इसी िौराि आकार् के  पववाह के
                                                      े
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         लगा।  दिि-रात  उसि  पढाई  िारी  रखी।  उस  तो  उपरांत एक बडी समसया उतपनि हो गई। रापत्र
                                                     े
         भर  पट  भोिि  भी  िसीब  िही  होता  था,  इसक  नर्फट की डयूटी होिे से उसकी पत्नी को अके ले ही
                                      ं
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         नलए वह मि ही मि क्रोनित भी होता था और इस  घर में रहिा पडता था। इसके  फलसवरूप, उसकी
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         क्रोि को वह पढाई करक नमटाया करता था। वह  पत्नी को पवनभनि प्रकार की समसयाओं का सामिा
         सोिा करता था दक ‘Practice makes perfect’। वह  करिा पडता था। रोसटर के  अिुसार आवंदटत डयूटी
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         सवामी पववकािि स भी प्रभापवत था। वह सवामी  को आकार् के  मि से अपिा लेिे के  बाविूि भी
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         पववकािि की पुसतकों को पढकर यह िाि पाया था  उसकी पत्नी के  नलए यह असवाभापवक था। इनहीं
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         दक दकसी िीि को पाि की दृढ इचछा र्पक्त तथा  सभी परेर्ानियों को िेखते हुए आकार् िे निण्षय
                              े
         कदठि पररश्रम ही सफलता क विार खोल सकती ह।  नलया दक वह दफर से प्रनतयोगी परीक्ा की तैयारी
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         सवामीिी की कही गई य पंपक्तया उसक मिोबल एवं  करिा  र्ुरू  करेगा।  दकं तु  रेलवे  की  िौकरी  एवं
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                                                             े
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         आतम-पवविास को मजबूती प्रिाि करती थी।           अपि संसार को संभालत हुए ऐसा करिा उसक
                                                                                                    े
                                                        नलए एक बहुत बडी िुिौती थी। अतीः डयूटी क
                                                    े
             आकार् ि अब सरकारी िौकरी की परीक्ा ििा
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                                                        समय  काय्ष  ि  होि  पर  वह  वही  दकताब  लकर
                                                                                                  े
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         र्ुरू  कर  दिया।  सफलता  पाि  म  भी  उस  जयािा
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                                                                                                   े
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                                                        पढि बैठ िाया करता था। वह पढाई क नलए ट्ि,
                                                            े
                   ं
         इतिार िही करिा पडा। एक दिि ग्रीषम की तपती
          ं
                                                                                                     े
                                                                   े
                                                        बस या पलटफॉम्ष िहा भी समय नमलता, पढि
                                                                             ं
               ें
         िूप  म  राकघर  का  रादकया  उसक  घर  एक  पत्र
                                        े
                                                        बैठ  िाता  था।  उसका  काय्ष-सथल  उसक  घर  स
                                                                                                     े
                                                                                             े
                                                      े
         लकर आया और कहा- ‘अर! आकार् तुमि रलव
           े
                                  े
                                                   े
                                                े
                                                                                                 35
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