Page 34 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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         कॉलि म प्रथम वर्ष की छात्रा थी। वह आकार् क  कारखािे के  बाबू तथा अनय कम्षिारी उसकी जखलली
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         साथ अपि कॉलि की पढाई एवं अनय पवरयों पर  उडाया करते थे। उिमें से तो अनिकांर् ही यह कहते
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         ििा्ष दकया करती थी। कॉलि क पवरय म सुिकर  रहते थे दक इस तरह की पढाई कर ग्रेिुएट िहीं
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                                                    ं
         आकार् को काफी अचछा महसूस होता था। एकात  बिा  िा  सकता  है।  वह  जिद्ी  तो  था  ही,  अपिी
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                                                      ें
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         म वह दफर स कॉलि की पढाई र्ुरू करि क बार म  क्मता,  दहममत  और  आतम-पवविास  के   साथ  यह
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         पविार करि लगा। वह अब ग्रिुएट होि का सपिा  िवाब िेता था दक कोलकाता यूनिवनस्षटी में यदि
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         िखि लगा। दकतु यह कस संभव होगा? उस तो  कोई एक पवद्याथती पास करेगा तो वह मैं होऊँ गा।
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         अपि घर का काम भी सवयं ही करिा पडता था।
                                                                                          े
                                                            आकार् बीि-बीि म बहुत दििों क अंतराल पर
                                                                             ें
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         इसक साथ ही बारह घंट की सैकयोररटी गार की
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                                                        अपि घर िाया करता था। दकतु अब तो घर का
         िौकरी कर क कस कर पाएगा? वह हमर्ा इनही
                                                      ं
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                                                        माहौल कछ और ही था। उसक सभी भाई अलग
                                                                                    े
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         बातों को सोिता रहता था। एक दिि वह सवयं को
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                                                                                                    े
                                                        अपिी-अपिी  िुनिया  म  वयवजसथत  हो  िुक  थ।
            ं
         िही रोक सका और ट्ि म ही मोहिा स कह दिया
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                                                                                            े
                                                        आकार् क संिभ्ष म भला या बुरा सोिि वाला भी
                                                                          ें
         दक अब वह भी पढाई करिा िाहता ह। आकार् की
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                                                                        ं
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                                                        कोई िही था। यहा तक दक अब तो कोई भी उसकी
                                              ं
         यह बात सुिकर मोहिा बहुत समय तक हसती रही
                                                                                                     ें
                                                        खबर तक िही लता था। वह अपि ही पररवार म
                                                                                        े
                                                                        े
                                                                     ं
         और कहि लगी दक साढ तीि साल पढाई स अलग
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                                                े
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                                                        पबलकल अकला पड गया था। पररवार क सिसय,
                                                                   े
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         रहि क बाि अब य कस संभव ह? िहा तुम एक
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                                                                          े
                                                        ररशतिार एवं मुहलल वालों की िजरों म वह एक
                                                            े
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         कारखाि म िौकरी कर रह हो, अब य तुमहार नलए
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                                                                                                 े
                                                        फालतू और बकार दकसम का लडका था। अपि घर
         पबलकल भी संभव िही ह।
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                               ै
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                                                        म रहि क बाविूि भी उस अपिा खािा सवयं ही
                                                                                 े
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             दकतु आकार् अब दकसकी सुिि वाला था? उसि  बिािा  पडता  था।  उसे  घर  लौटिे  में  काफी  रात
                                                      े
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         दकसी को पबिा कछ बताए िूरसथ नर्क्ा (दरसटस  हो िाती थी। अनिकतर रात को तो वह सत्तू और
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         एरुकर्ि)  क  माधयम  स  सिातक  (ग्रिुएर्ि)  क  मूरही  खाकर  ही  सो  िाया  करता  था।  भाइयों  के
                                    े
         नलए फॉम्ष भर दिया। वह अपि इस सैकयोररटी गार  पास साम्थय्ष होिे के  बाविि भी उिसे उसे एक
                                                                                  ू
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         की िौकरी क साथ-साथ अपिी पढाई भी पूरी करिा  मुटठी भात तक िसीब िहीं हो पाता था। दकसी से
                      ं
         िाहता था। दकतु गार की 12 घंट की डयूटी तथा  भी दकसी प्रकार की मिि ि नमलिे के  बाविि भी
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         अपि अनय कामों क बाि पढाई क नलए समय िही  उसके  मि में दकसी के  प्रनत क्ोभ की भाविा िहीं
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                                                      ं
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         बिता था। इसक अलावा इति दििों तक पढाई स  थी। यहां तक दक वह दकसी से हाथ फै लाकर कु छ
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         िूरी क कारण उस पढाई करि म काफी दिककतों  िहीं मांगता था। वह अपिा आतम-सममाि िष्ट िहीं
         का सामिा करिा पडता था। उस अब दकताब पढि  होिे िेता था।
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         म पबलकल भी मि िही लगता था। उसि िैस-तैस             इस तरह आकार् ि अपि कदठि पररश्रम और
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         कारखाि  क  काम  क  बीि-बीि  म  पढाई  करिा      िीवि  की  सभी  पवरम  पररजसथनतयों  का  सामिा
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                                                  े
         र्ुरू  दकया।  उसकी  जिद्  एवं  हार  ि  मािि  की   करत हुए प्रथम बार म ही ग्रिुएर्ि की परीक्ा पास
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         मािनसकता  ि  उस  दफर  स  पढाई  की  िुनिया  म   कर ली। उसकी इस उपलजबि की प्रर्ंसा करि वाला
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                                                      ें
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         लौटा दिया।                                     भी कोई िही था। इसक बाि, उस सैकयोररटी गार
                                                                    ं
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             कारखाि क पररवर् म पढाई करिा एक अिीब  के  रूप में ईएम बाईपास के  एक अंग्रेिी नमदरयम
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         बात  थी।  सैकयोररटी  गार  की  डयूटी  म  रहत  वह  सकू ल में भेिा गया। वहाँ वह सुबह आठ बिे सकू ल
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         कारखाि  क  ही  गट  क  ियर  पर  बैठ  कर  पढाई  का गेट खोल िेता था, उसके  बाि सकू ल के  सभी
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         दकया करता था। दकतु कारखाि क र्ोर तथा उसस  छात्र-छात्राएं प्रवेर् करते थे। वहाँ आकार् को सकू ल
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         निकली गमती क बीि पढाई करिा काफी कदठि था।  के  लडके -लडदकयों को पढाई करते एवं दटदफि के
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                                                    े
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         उस कारखाि क गट पर बैठ कर पढाई करता िख  समय खेलते हुए िेखकर अपिे सकू ल के  दििों की
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