Page 39 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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कॉफी या पसंिीिा खुर्बू को सूंघिा या सट्स मौिूिा र्ारीररक सवास्थय सेवाओं पर धयाि कें दद्रत
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बॉल को नििोडिा। करिा और मािनसक सवास्थय मुद्ों की िािकारी
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y कछ दिमागी सहतमंि या मूर को बढावा की कमी मािनसक सवास्थय िखभाल पवतरण
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प्रणाली क नलए एक िुिौती ह। अत: अब इस
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ििवाला आहार ल, िैस िटस (अखरोट, बािाम,
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मािनसक पवकार रूपी कलंक का मुकाबला करि,
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कािू, मूंगफली), एवोकारो, फलैकससीर, बीनस,
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रोकथाम बढाि, र्ीघ्र पहिाि सुनिजचित करि और
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ताि फल, राक िॉकलट। साथ ही मािनसक
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समाि क भीतर सरल और वयावहाररक हसतक्प
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जसथनत को प्रनतकल रूप स प्रभापवत करि
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को प्रोतसादहत करि क सािि क रूप म मािनसक
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वाल खाद्य पिाथशों िैस दक कफीि, अलकोहल
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सवास्थय िागरूकता क प्रनतमाि का पता लगाि क
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स परहि कर।
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नलए यह उपयुक्त समय ह। अनभयाि और मािनसक
y पया्षप्त गुणवत्ता वाली िीि ल।
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सवास्थय साक्रता काय्षक्रम क प्रिार-प्रसार स लोगों
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y कछ साथ्षक और उद्शयपूण्ष काय्षकलाप कर िैस को िागरूक दकया िा सकता है।
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अपि आप को दकसी उतपािक एवं रििातमक
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उपरोक्त क अलावा, एक सामाजिक प्राणी होि
काय्ष म संलगि करिा, दकसी पालतू िािवर
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क िात, हम सभी की जिममिारी ह दक हम उि
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की िखभाल करिा या वृद्ध माता-पपता या
लोगों क साथ खड हों जिनह भाविातमक सहािुभूनत
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िािा-िािी या उि लोगों की िखभाल करिा
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की आवशयकता ह। उिक रूख रवैय, मि क बार-
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जिस िखभाल की आवशयकता ह।
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बार बिलि या मािनसक बीमारी क दकसी भी
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दफर भी यदि य उपाय भी अवसाि एवं तिावग्रसत अनय लक्ण वाले दकसी वयपक्त को परेर्ाि करिे
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मािनसक सवास्थय को कम करि म असफल नसद्ध की कोनर्र् ि करें। बजलक हम उनहें यह कह कर
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हो रह ह, तो पर्वर निदकतसक स संपक दकया आविसत कर सकते हैं की "आप अके ले िहीं हैं, हम
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िा सकता ह। एक ररपोट क अिसार मािनसक सब आपके साथ हैं"।
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बीमाररयों वाल अनिकार् लोग पर्वर निदकतसक
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की मिि िही लत ह। नसफ इस वर्ष, हर पािव
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वयपक्त म स लगभग एक वयपक्त मािनसक पवकार
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स पीदडत हो रहा ह। दफर भी, मािनसक सवास्थय
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समसयाए दकतिी भी सामानय कयों ि हों, हमम स
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कई लोग उस िौराि र्राब या ड्गस का सहारा लि
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अथवा आतमघाती किम उठाि या खुि स धयाि
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खीिि क अलावा अपिी जसथनत को बहतर बिाि
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क नलए कोई भी प्रयास िही करत ह। कछ लोग
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गलत तरीक स सोित ह दक इस संबंि म पर्वर
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निदकतसक की मिि लि का अथ्ष यह ह दक वह
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पागल ह।
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हम सभी िाित ह दक भारत िैस िर्ों म
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मािनसक सवास्थय सवा म प्रगनत ि क बराबर ह।
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