Page 40 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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बासुरी की धुन पर पणक्यों का गान
शुभम जोअिदाि,
लखापिीक्क
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यह घटिा पपछल वर्ष क ििवरी महीि की मलय बाबू एक बुिुग्ष वयपक्त हैं, इसनलए ट्ेि और
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ह। मैं उस समय पजक्यों की फोटो खीिि क मोटर गाडी के सफर के बाि वह उस दिि रूम से
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उद्शय स रामपुर गया था। खबर नमली थी िही निकल। उनहोंि कहा दक अगल दिि
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दक ििर बाब क बागाि म दहमालय सुबह पजक्यों की फोटो खीिि िाएग।
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स आए पवनभनि प्रकार क पजक्यों यहा मैं कह सकता हूँ दक मलय बाब
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को िखा िा सकता था। इसी उद्शय पजक्यों की फोटो खीिि क मामल
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स मैं और मलय बाब िोिों िो म मर एक पवविसिीय साथी ह। हम
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दििों क नलए रवािा हुए। र्ुक्रवार िोपहर क खाि म पतल िावल का
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का दिि था। हमलोग नसयालिाह भात, िाल, आलुभािा एवं निकि
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सटर्ि स िाजि्षनलंग मल स परोसा गया। मलय बाब सो
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नयू िलपाईगुडी क नलए गए, दफर भी मैंि कमरा
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निकल और िूसर दिि लकर एक बार िंगल की
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सुबह पहुँि गए। वहा ओर िाि का निण्षय
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स एक मोटर गाडी म दकया। मैंि हलक हर
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बैठकर और तीि-िार रग की छ्द्मभरी कमीि
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घंटो का सफर तय कर पहि कर िंगल म
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हम सुबह 11 बि रामपुर प्रवर् दकया। िंगल म
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प हुँ ि गए। पहुँित ही प्रवर् करत ही मरी मुलाकात
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ििर बाबू का बंगाली सव्षप्रथम एक िील रग क काल िारीिार रायि
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(Black-raped Monarch) िामक पक्ी स हुई। उसक
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िौकर मंत्रमुगघ करि वाल रग को िखकर मैं खुि को फोटो
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िनिलाल खीिि स िही रोक सका। परतु दिि भर िंगल
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हम बड ही आिर में घूमिे के बाि भी सातभाई (Jungle Babbler)
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क साथ बैठक खाि म ल गया। यह के अलावा िूसरे पजक्यों के िर््षि िहीं हो सके ।
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कहा िा सकता ह दक ििर बाब एक सथािीय हालांदक वहां बहुत तरह के पजक्यों की आवाजें सुिी
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िमीिार थ। दफर भी िमीिारी प्रथा तो िही ह, परतु िा सकती थीं िो और सािारण पजक्यों से नभनि
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नसफ एक रािबाडी मौिूि ह। वही हमार रहि की थीं। मि बहुत उिास हो गया था। अिािक मेरी
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वयवसथा की गई। इस रािबाडी क पीछ एक पवर्ाल िजर िलार्य की ओर एक मदहला पर पडी जिसके
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र्ाल का पड और पलार् क फल का िंगल ह। इस हाव-भाव पबलकु ल एक पविेर्ी की तरह लग रहे थे।
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िंगल क पार एक ििी ह, िो अब गनतहीि हो झील उसके पास एक बाँसुरी भी थी। मैंिे उससे बात करिे
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म पररणत हो िुकी ह। इसी िलार्य म फरवरी क की कोनर्र् की। मैंिे उनहें िीिी कह कर संबोनित
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र्र दििों म साइबररयि हस का आगमि होता ह। दकया। मेरी तरफ िेखकर वह मुसकु राते हुए बोलीं-
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