Page 37 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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अपने मन को पहचानने में और देर न करें







                              ं
                             िद्रानवी ससंह,
                                      े
                             सहा्यक लखापिीक्ा अधिकािी
                                                  े
             मािव सुख और िि कलयाण क नलए बहतर                अचछ मािनसक या भाविातमक सवास्थय वाल
                                          े
                                                                                                     े
                                                                े
                                 ै
                                    े
         सवास्थय महतवपूण्ष होता ह। िर् की अथ्षिीनत की  लोगों में कु छ पवर्ेरताएं होती हैं, िैसे  िीवि के
                        ें
         आनथ्षक प्रगनत म भी इसकी महतवपूण्ष भूनमका होती  पवनभनि पहलुओं को समझिा और िीवि िीिे के
          ै
         ह, कयोंदक सवसथ आबािी की िीवि संभावयता अनिक  गुर िाििा, तिाव को नियंपत्रत करते हुए प्रनतकू ल

                                             ै
               ै









         होती ह, उतपािक   क्मता अनिक होती ह, और वह  पररजसथनतयों  में  िीरि  से  िीिा,  िए  बिलाव  के
                                              ै
                   े
                                                  े
         बित करि का प्रयास भी अनिक करती ह। लदकि  नलए तैयार रहिा, काम और आराम के  बीि संतुलि
                                                े
         र्ारीररक  सवास्थय  का  मािनसक  सवास्थय  क  साथ  बिािा, आतमपवविास और आतमसममाि से िीिा।
                                   े
                         ै
                 ं
                                                     े
         सीिा संबि होता ह और अचछ मािनसक सवास्थय क
                                                                                          े
                                                            एक अचछा मािनसक सवास्थय होि का मतलब
                                       ं
         पबिा अचछा र्ारीररक सवास्थय िही हो सकता।
                                                               ं
                                                        यह िही ह दक आपक िीवि म कोई समसया िही
                                                                 ै
                                                                                    ें
                                                                                                     ं
                                                                           े
                            ु
                                                 ें
                                       े
                                             े
                         ें
                                    े
             इस  संिभ्ष  म  कछ  कहि  स  पहल  हम  यह  है, आप दकसी भी भाविातमक समय से िहीं गुिरे
                                                    ै
         िाििा  िादहए  दक  मािनसक  सवास्थय  कया  ह?  हैं। यद्यपप हम सभी िािते हैं दक उतार-िढाव हमारे
         मािनसक  सवास्थय  कलयाण  की  एक  जसथनत  ह  िीवि  के   बहुत  सामानय  भाग  हैं।  खराब  समय
                                                      ै
               ें
         जिसम  एक  वयपक्त  अपिी  क्मताओं  का  एहसास  के   िौराि  प्राय:  लोग  उिासी,  निंता  और  तिाव
         करता  ह,  उतपािक  रूप  स  काम  कर  सकता  ह  महसूस करते हैं। लेदकि मिबूत मािनसक सवास्थय
                                                      ै
                                  े
                 ै
                                                      े
                                       ें
                   े
                            े
         और  अपि  या  अपि  समुिाय  म  योगिाि  करि  वाले  लोग  प्रनतकू ल  पररजसथनतयों,  आघात  और
                                ँ
           ें
                          ै
         म  सक्म  रहता  ह।  यहा  इस  बात  पर  भी  जोर  िकारातमकताओं  से  सवाभापवक  पररजसथनतओं  में
         दिया िाता ह दक मािनसक सवास्थय को संरजक्त  लौटिे में सक्म होते हैं। इस क्मता को लिीलापि
                     ै
                              े
         और बहाल करिा ि कवल वयपक्तगत आिार पर  (resilience)  कहा  िाता  है।  लिीली  प्रकृ नत  वाले
         महतवपूण्ष ह बजलक िुनिया भर क पवनभनि समुिायों  वयपक्त कम भय के  साथ कदठिाइयों का सामिा कर
                   ै
                                     े
         और समािों म भी उतिा ही उपयोगी ह। आपका  सकते हैं, बुरे समय के  साथ-साथ अचछे समय के
                                              ै
                       ें
                                                  ै
         मािनसक सवास्थय इस बात पर निभ्षर करता ह दक  नलए भी प्रेररत रहते हैं, िीवि के  िरणों पर धयाि
                                                      े
                                         ैं
                              ै
                            ें
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               ै
                                       े
         आप िनिक िीवि म कस सोित ह, महसूस करत  कें दद्रत  कर  सकते  हैं,  अनिजचित  भपवषय  से  कम
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                                              े
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                               ैं
         ह और वयवहार करत ह। यह तिाव स निपटि,  भयभीत रहते हैं और समािाि हीि जसथनत में  भी
                                                     े
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                                       े
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         िुिौनतयों स उबरि, संबंि बिाि और िीवि की  सकारातमक बिे रहते हैं।
         असफलताओं और कदठिाइयों स उबरि की आपकी
                                     े
                                           े
                                                                        ें
                                                                                      े
                                                            इस  संिभ्ष  म  कोपवर-19  क  िौराि  उतपनि
                                     ै
         क्मता को भी प्रभापवत करता ह।
                                                        जसथनतयों का उिाहरण दिया िा सकता ह। हालादक,
                                                                                                  ं
                                                                                            ै
             एक मिबूत और अचछ मािनसक या भाविातमक  इि पररजसथनतओं में वैजविक धयाि कोरोिा वायरस
                                े
                                     ै
                                   ं
         सवास्थय का मतलब यह िही ह दक आप दकसी भी  से  लडिे,  परीक्ण  और  संक्रमण  को  रोकिे  पर
                                 ै
                          े
         मािनसक बीमारी स मुक्त ह। बजलक इसका तातपय्ष  है, बहुत बडी संखया में लोग इस बीमारी के  बारे
              ै
         यह ह दक मि अवसाि, निंता या अनय मािनसक  में  निंता-ग्रसत  हैं-  पप्रय  लोगों  को  खोिे  का  रर
               े
                       ै
         मुद्ों स मुक्त ह और सकारातमकता की उपजसथनत  और भपवषय की अनिजचितता मि में भरी हुई है,
                                                                                             े
         को भी संिनभ्षत करता ह।                         िौकरी बिाि की निंता, पवत्तीय जसथनत स संबंनित
                                                                    े
                              ै
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