Page 27 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
P. 27
े
और सरल पुरूरों एवं मदहलाओं क बीि उिका प्रकार, यह मािें या ि मािें, हम अभी भी अविेति
ँ
ै
अचछा कारोबार ह। यहा तक दक बड र्हरों और मि में अंिपवविासों का लालि-पालि करते हैं।
े
ै
कसबों म भी इि लोगों की बहुत बडी संखया ह।
ें
े
आइए अब हम काली पबलली पर वापस आत
कछ ग्रामीणों, दकसािों, मििूरों, मदहलाओं आदि
ु
े
ैं
े
े
ह। वैस तो मैंि अकसर कई बार पबलली को अपि
ँ
ैं
े
ु
की भी कछ सथापपत िानम्षक मानयताए ह। उिक
े
े
े
सामि स सडक पार करत िखा। पहल मैं इस घटिा
े
े
नलए आिुनिक पवज्ाि और निदकतसा का कोई
का बुरा िही मािता था। दफर मैंि कई लोगों को
ं
े
मतलब िही ह। व पतथर, पड और पवनित्र वसतुओं
े
ं
ै
े
े
े
े
िखा दक िब कोई पबलली उिक सामि स सडक
े
े
े
ैं
की पूिा करत ह। व र्ुभ और अर्ुभ क्णों, घंटों
े
पार करती, व रूक िात और तब तक इतजार करत,
ं
े
े
े
े
े
ें
े
और दििों क बार म परामर््ष करि क नलए िािूगरों
िब तक दक कोई िूसरा आिमी उिस पहल निकल
े
े
े
ैं
े
और पुिाररयों क पास िात ह। कभी-कभी कोई
े
ि िाए या तो दफर वह खुि अपिा माग्ष बिल लत।
े
अंिपवविासी पुरूर या मदहला बुरी प्रकनत स नििात
े
ृ
ें
इस संबंि म कई बार मैंि कार िालकों को कार
े
े
े
े
े
े
े
पाि क नलए अपि या अपि बचि की बनल ि ित
े
े
रोकत हुए िखा ह। व एक या िो फीट कार पीछ
े
े
े
ै
े
ैं
े
ह। कई बार एक मदहला को मौत क घाट उतार
की ओर ल िात, कार की पवरसक्रीि पर क्रॉस का
े
ं
े
ै
ै
दिया िाता ह, उस मार दिया िाता ह या िुडल क
े
े
ै
े
े
निर्ाि रालत और आग बढत कयोंदक एक पबलली
े
ै
ें
रूप म जिंिा िला दिया िाता ह। इस प्रकार का
ु
ै
का सडक पार करिा अपर्कि मािा िाता ह िो
अंिपवविास समाि क पवकास पर िकारातमक और
े
े
दक िुभा्षगय का संकत ह। अगर वह पबलली काली
ै
ै
हानिकारक प्रभाव रालता ह।
ै
े
होती ह, तो इस सबस पविार्कारी मािा िाता ह।
े
ै
े
पजचिमी सभयता म भी अंिपवविास आदि काल स हालांदक इसमें कोई वैज्ानिक तक्ष िहीं है, दफर भी
ें
े
ु
े
ैं
रह ह। उिक पास आिनिक पवज्ाि, प्रौद्योनगकी और इस घटिा को बार-बार िेखिे से िीरे-िीरे अब मुझे
ज्ाि की तिी स उनिनत क बाविि अंिपवविास का भी अज्ात भय होिे लगा है। लेदकि मैं इि सब
े
े
े
ू
ें
े
ँ
एक गढ वहा क मिुषय पर ह। इस नसलनसल म अंिपवविासी किमों का पालि िहीं करता हूँ, बजलक
ै
े
े
ृ
े
ं
अंिपवविास का सबस उतकष्ट उिाहरण िरीगढ क आगे बढ िाता हूँ और बाकी यात्रा के नलए अनतररक्त
े
सबस आिनिक र्हर की योििा म िखा िाता ह। सतक्ष रहता हूँ।
ें
ै
े
ु
े
यह र्हर भारत क वैज्ानिक पवकास क इस युग म काली पबलली वाली इस नमथक की उतपपत्त
े
ें
े
े
ै
सबस योििाबद्ध आिनिक र्हर ह। इस र्हर क यूरोपीय िर्ों स ह। िबदक भारत म िािू-टोि का
ु
े
ें
े
ै
े
सैंतालीस सकटरो म स तथाकनथत अर्ुभ तरह िंबर प्रिलि सदियों स रहा ह, काली पबजललयों का संबंि
ें
े
े
े
े
ै
े
ैं
े
सकटर नमनसंग ह। ली कॉबयू्षजियर, जिनहोंि भारत पब्दटर् और पुत्षगाली उपनिवर्वादियों क माधयम
े
े
ं
े
क िरीगढ र्हर क नलए मासटर पलाि तैयार दकया स हमार िर् म िड िमा िुका ह। काली पबजललयों
े
े
ें
े
ें
ै
े
ं
े
े
ु
े
था, व भी इस कसंसकार स अछ ू त िही थ। इसस क संबंि म भानतया कई िर्ों क अंिपवविासों स
े
े
े
े
ं
ें
े
ं
े
ै
े
ु
यह सापबत होता ह दक सबस आिनिक योििाकारों, ह, लदकि उिका अथ्ष सौभागय या िुभा्षगय िोिों स
े
ै
े
ै
े
्ष
आदकटकटों और तकिीनर्यिों का माििा ह दक ही ह।
ै
संखया तरह एक अर्ुभ संखया ह।
े
ै
उदाहिण्ः
पजचिम म "13" संखया उिक नलए एक प्रनतबंि
े
ें
यदि एक काली पबलली एक िहाज पर भटकती
ै
े
ह। यह कहा िाता ह दक इस पवर्र अंिपवविास
ै
े
े
ह और दफर स िीि उतर िाती ह, कहा िाता
ै
ै
का उतपपत्त ईसा मसीह की आखरी रात क भोिि
े
े
ै
ह दक िहाज अपिी अगली समुद्री यात्रा क
े
(The Last Supper) स संबंनित ह। िब ईसा मसीह
ै
े
े
िौराि रूबि क नलए तैयार ह।
ै
ि अंनतम बार रात का खािा खाया उस वक़त उिक
े
े
ें
े
े
ें
ं
े
13 नर्षय थ और इसक तुरत बाि उनह नगरफतार पब्टि और आयरलैंर म एक काली पबलली को
े
ै
कर नलया गया और सूली पर िढा दिया गया। इस िखिा भागयर्ाली मािा िाता ह।
27