Page 62 - Akaksha (8th edition)_Final pdf
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             इस पर सीमा ि कहा दक, 'मर पनत अचछ ह।  निकली दक वह िरूरी काम से िा रही है। उसिे
                                                     ैं
                                                  े
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         मैं तो िौकरी िही करिा िाहती थी। मुझ लगता  एक संगीत पवद्यालय में प्रवेर् ले नलया। उसे सुर-
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         था दक मैं पढाई म अचछी िही हूँ। मर पनत ि  ताल का कु छ ज्ाि तो पहले से ही था, इसनलए उसे
                           ें
                                      ं
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         मुझ  सुझाव  दिया  दक  तुमह  सवयं  क  नलए  कछ  प्रवेर् नमलिे में असुपविा िहीं हुई। अब वह घर
                                                    ु
                                                 ें
         करिा िादहए। जितिा तुम पढी हो भपवषय म कछ  का काम िलिी-िलिी कर लेती। संगीत पवद्यालय
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                                   े
         कर सकती हो।' उिक कहि पर मैंि बी.एर की  िाती और घर में भी ररयाज करती। उसके  पनत को
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                                                      े
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         दरग्री हानसल की। व पढाई म मरी सहायता करत  िािकारी थी दक जयोनत गािा सीख रही है। कई
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                                    ें
         थ। बी.एर. की परीक्ा म अचछा पररणाम होि पर  महीिे गुिर गए। एक दिि वह बहुत खुर् होकर
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                                                  े
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                                  ें
         मुझ एक नििी पवद्यालय म िौकरी नमल गई। मैं  अपिे पनत से बोली "आि र्ाम को टीवी पर मेरे
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                                   े
         नििी पवद्यालय म िौकरी क साथ-साथ सरकारी  गािे का काय्षक्रम आएंगा।"
         पवद्यालय म िौकरी हतु परीक्ा की तैयारी भी कर
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                                                                         ें
                                                            र्ाम को घर म िब टीवी पर एक काय्षक्रम म
                                  े
                                 े
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         रही थी। इसी िौराि मर बट वरूण का िनम हुआ।
                                                        पररवार क सभी सिसयों ि जयोनत का गािा सुिा
                                                                 े
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         उस  मैं  और  मर  पनत  नमलकर  संभालत  थ।  मैं
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                                                                              े
                                                        तो आचिय्षिदकत रह गय। जयोनत को पुरसकार भी
         सकल िली िाती तो सास-ससुर उसकी िखभाल
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                                                े
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                                                                      े
                                                        नमला था। बचि िग थ और सास-ससुर भी। बचिों
                                                                            े
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         करत थ। िब वरूण िो साल का हुआ तब मुझ            ि पूछा- "मा तुमि य सब कब और कस दकया ?"
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                                                                                            े
                                                                    ँ
                                                                                          ै
                                                          े
                                                                            े
                                                                         े
         सरकारी पवद्यालय म िौकरी नमल गई। मैं आि
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                                                                                       े
                                                            जयोनत िुप थी मगर अंिर स बहुत खुर् थी।
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         अपि  सकल  की  सब्षश्रेष्ठ  दहनिी  अधयापपका  हूँ।
                                                        उस िीवि म एक िई राह नमल गई थी। जयोनत
                                                           े
                                                                    ें
                           ै
         वरूण भी िािता ह दक मैं बाहर काम करती हूँ।
                                                        क  पनत  ि  कहा  "तुमहारी  मा  बहुत  अचछा  गाती
                                                         े
                                                                                   ँ
                                                                  े
                                             ै
         अतीः वह अपिा काम खुि करि लगा ह। अब वह
                                      े
                                                                          े
                                                        थी पर तुम लोगों क नलए सब छोड रखा था। िब
                              ै
         14 साल का हो गया ह।
                                                                               े
                                                             े
                                                                                  ें
                                                                                          े
                                                        उसि सोिा तो छह महीि म ही अपि दृढ संकलप
                           े
             जयोनत सीमा स नमलकर घर लौट आई। वह           और महित स अपिी भूली हुई कला को दफर स
                                                                                                     े
                                                              े
                                                                     े
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                                    े
                                          े
         रासत भर सोिती रही दक उसि अपि िीवि क 18         निखार दिया।"
         साल पररवार एवं बचिों क पीछ बीता दिए। अपिी
                                     े
                                े
                                                                        े
                                                                             ँ
                                                            बचि बोल पड- 'मा! हम आप पर गव्ष ह। आप
                                                                                 ें
                                                                े
                                                                                               ै
         पहिाि ि बिा पाई। पररवार म उसकी कोई कद्र
                                      ें
                                                                                 े
                                                                                                ं
                                                        इतिा  अचछा  गाती  ह  हम  मालूम  ही  िही  था।'
                                                                            ै
                                              ै
            ं
         िही ह। वह घर की मुगती िाल बराबर ह। जयोनत
               ै
                                                        जयोनत को एक िई राह और अपिी पहिाि नमल
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                                             े
         ि मि ही मि एक निण्षय नलया। िूसर दिि वह
                                                                                े
                                                        गई थी। वह अब खुर् रहि लगी थी।
         घर का काम िलिी खतम कर यह कह कर बाहर
                           हहंदी  भाि्  की  िाषट्रभाषा  ्ो  ह  ही,  ्यही  जन्ंत्ातमक  भाि्  में
                                                       ै
                           िाजभाषा भवी होगवी।
                                                                   - सवी.िाजगोपालािािी
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